
भोपाल : अप्रैल का अभी एक पखवाड़ा भी नहीं बीता है कि आसमान से आग बरस रही है। मध्यप्रदेश इस बार राजस्थान जैसा तप रहा है। अप्रैल में गर्मी मई-जून जैसी है। मौसम विभाग के 122 साल के रिकार्ड में अप्रैल 2022 का पहला हफ्ता सबसे गर्म रहा। दिन का पारा 44 डिग्री पार कर गया। देश के दस सबसे गर्म जिलों में दो शहर तक आ गए। प्रदेश के बाकी के शहरों में भी इसी वजह से पारा 42 के ऊपर चला गया।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक यह जलवायु परिवर्तन का असर है। जबलपुर डिवीजन और सिवनी में बारिश-ओले गिर रहे हैं, तो प्रदेश के दूसरे हिस्से तप रहे हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि एक ही सिस्टम से मौसम में बड़े स्तर पर इतना बदलाव देखने को मिला हो। मौसम में लगातार बदलाव से जलवायु बदलने लगी है। दो साल से प्रदेश के कई शहरों में मौसम में काफी अंतर आया है। पहले जहां नर्मदापुरम में बाढ़ आती थी, अब ग्वालियर और बुंदेलखंड के इलाके बाढ़ से प्रभावित हो रहे हैं।
तापमान में भी काफी असमाना आ गई है। कहीं बहुत ज्यादा तापमान बढ़ गया है, तो कहीं गिर रहा है। पाकिस्तान से आने वाली हवाएं (पश्चिमी विक्षोभ) 12 दिन के अंतर से आई। इस वजह से मार्च में इतनी तपन हुई और 122 साल के इतिहास में पहली बार अप्रैल में इतनी गर्मी पड़ी। अब पश्चिमी विक्षोभ अप्रेल में आया, तो उसकी पोजीशन ऐसी है कि एक तरफ आग बरसा रहा है, दूसरी तरफ बारिश और बिजली गिरा रहा है। अभी यह ईरान और अफगानिस्तान के ऊपर है। उत्तर में कर्क रेखा के काफी ऊपर बना हुआ है।
इस वजह से हवाएं अरब सागर से गर्मी नहीं ले पा रहीं। जैसा अभी तक सामान्य तौर पर होता है। इसकी वजह से पश्चिमी हवाओं को गर्म हवाओं का अतिरिक्त बल मिला है। वहीं एक चक्रवाती घेरा श्रीलंका के पास बंगाल की खाड़ी में है। इसी से दक्षिणी-पूर्वी हवाएं बंगाल की खाड़ी की तरफ से आ रही है। पश्चिमी पूर्वी हवाएं और पश्चिमी आपस में टकरा रही हैं। मौसम विभाग के इतिहास में साल 2016, 2017 और 2019 सबसे गर्म रहे। इस बार अप्रैल ने यह रिकार्ड तोड़ दिया है। यही स्थिति रही तो गर्मी के तेवर और तीखे हो सकते हैं।