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देश के विकास में कृषि एवं पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान

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लखनऊः राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आज यहाँ राजभवन से दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान मथुरा द्वारा आयोजित इण्डियन पॉल्ट्री सांइस एसोसिएशन के तीन दिवसीय 37वें सम्मेलन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का ऑनलाइन उद्घाटन किया। इस अवसर पर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विशाल जनसंख्या वाले हमारे देश के विकास में कृषि एवं पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है। एक-दूसरे के पूरक रहने वाले ये क्षेत्र राष्ट्र की आजीविका खाद्य-सुरक्षा एवं आर्थिक अर्जन को समृद्ध करते हैं  निरन्तर प्रगति कर रहे कुक्कुट व्यवसाय पर राज्यपाल जी ने कहा कि ये कृषि के सर्वाधिक लाभकारी उद्योगों में से एक है और इस व्यवसाय में आम आदमी की रूचि भी बढ़ रही है। उन्होंने इस व्यवसाय को किसानों की आर्थिक स्थिति को सृदृढ़ करने वाला तथा कुपोषण से सम्बन्धित समस्याओं से भी निजात दिलाने में सक्षम बताया। उन्होंने कहा कि बैकयार्ड कुक्कुट पालन भूमिहीन लघु एवं सीमान्त कृषकों एवं पशुपालकों ग्रामीणों महिलाओं एवं युवाओं को आर्थिक आधार प्रदान करने तथा आम सृजन के साथ-साथ उचित पोषण का भी मजबूत आधार है।

राज्यपाल जी ने अपने सम्बोधन में विश्वविद्यालय के उल्लेखनीय कार्यों की सराहना भी की जिनमें हाल ही में पशुओं में फैले लम्पी वायरस रोग के लिए नैदानिक प्रयोगशाला की स्थापना बकरी की नस्ल सुधार के लिए छोटे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला जर्मप्लाज्म उपलब्ध कराना स्वदेशी गायों के संरक्षण के लिए गो अनुसंधान संस्थान का पुनर्गठन अफ्रीकी स्वाइन बुखार रोग निदान की प्रयोगशाला की स्थापना बड़े पशुओं के लिए उन्नत ऑपरेशन थियेटर का उद्घाटन पशु प्रजनन अनुसंधान संगठन को बकरियों की उच्च गुणवत्ता के वीर्य स्ट्रा प्रदान करने जैसे कई विषयों का विशेष उल्लेख किया। इसी क्रम में राज्यपाल जी ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग में वैज्ञानिक पशुपालन को प्रोत्साहन देने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में नया प्रशिक्षण एवं आवासीय केन्द्र स्थापना की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश के 6-7 जिलों में आदिवासी क्षेत्र हैं जहाँ वे समूहों में रहते हैं।

विश्वविद्यालय के शिक्षक इन जगहों पर जाकर उन्हें विधिवत पशुपालन दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जानकारी दूध से विविध उत्पादों के निर्माण की शिक्षा दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान को विश्वविद्यालय की परिधि तक ही सीमित न रखें। शिक्षक और विद्यार्थी गाँवों में जाकर ऐसे परिवारों से जुड़ें और ज्ञान एवं अनुसंधानों का लाभ प्रदान कर उनकी सामाजिक और आर्थिक उन्नति में सहायक बनें। उन्होंने जोर दिया कि विश्वविद्यालय में हुए शोधां और प्रयोगशालाओं को जनता से जोड़कर व्यापक रूप से उपयोगी बनाया जाए। राज्यपाल जी ने ऐसे विषयों पर अल्पावधि के सर्टिफिकेट कोर्स बनाने और नवीन शोधों पर कार्यक्रम करके विद्यार्थियों को उनमें जोड़ने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लाभकारी विषयों पर प्रतिवर्ष शार्ट टर्म कोर्स बनाकर विद्यार्थियों को उपलब्ध कराए जाएं जिससे तात्कालिक उपयोगिता की पूर्ति निरन्तरता से होती रहे।

सम्मेलन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 ए0के0 श्रीवास्तव इप्सा के अध्यक्ष प्रो0 ए0एस0 रानाडे ने भी विचार व्यक्त किए जबकि इप्सा के सचिव डा0 जगबीर त्यागी ने इप्सा की रिपोर्ट प्रस्तुत की कार्यक्रम में इप्सा द्वारा वैज्ञानिकों को विशेष योगदान के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा एक पुस्तक एवं सोवेनियर का विमोचन भी किया गया समारोह में राजभवन से ऑनलाइन जुड़ी प्रमुख सचिव राज्यपाल श्रीमती कल्पना अवस्थी विशेष कार्याधिकारी शिक्षा तथा विश्वविद्यालय से पशु वैज्ञानिक चिकित्सक प्रोफेसर अधिकारी कर्मचारी तथा अन्य महानुभाव उपस्थित थे।

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