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इंटर और हाईस्कूल के टॉपरों काे मिलेंगे एक-एक लाख रुपये और लैपटाॅप

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लखनऊ : यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है। 10th में 83.31% रिजल्ट रहा। लड़कों का रिजल्ट 79.88% और लड़कियों का रिजल्ट 87.29% रहा। 12वीं में 74.63% पास हुए हैं। लड़कियों का पास प्रतिशत 81.96% और लड़कों का 68.88% है।

हाईस्कूल में बड़ौत, बागपत की प्रिया जैन 96.67% के साथ टॉपर रही हैं। अभिमन्यु वर्मा बाराबंकी के 95.83% के साथ सेंकड टॉपर। बाराबंकी के योगेश प्रताप सिंह 95.33% के साथ तीसरे पर। इंटर में बागपत के अनुराग मलिक 97% अंक के साथ टॉपर हैं। प्रयागराज के प्रांजल सिंह 96% के साथ सेकंड स्थान पर आए हैं। औऱया के उत्कर्ष शुक्ला 94.80% के साथ थर्ड टॉपर हैं। लखनऊ में आयोजित पत्रकार वार्ता में उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि इस बार टॉपरों को हम एक लाख रुपये और लैपटाप देंगे।

रिजल्ट जारी करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि

प्रदेश में 52 लाख लोगों ने परीक्षा दी थी। परीक्षाफल समय से जारी करना सपना था। कठिन परिस्थितियों में परीक्षा करवाईं। 21 दिनों में कॉपियां जांचना और जल्दी परीक्षाफल घोषित करना महालक्ष्य था। इस बार का रिजल्ट पिछले वर्ष से बेहतर है।

दस महीने पहले ही स्कीम दी थी। परीक्षा 12 से 15 दिन में करवाईं। साथ में हमने प्रश्नपत्रों के मॉडल अपलोड किए थे। टोल फ्री हेल्पलाइन लगवाई।

नकलविहीन परीक्षा के लिए 95 हजार परीक्षाकक्ष थे। एक लाख से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे राउटर के साथ लगे। हर परीक्षा कैन्द्र व जिले व राज्य स्तर पर मॉनिटरिंग सेंटर बने

इस बार हमने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। कॉलसेंटर था। हेल्पलाइन, टि्वटर, भी सक्रिय रहे।

चार रंगों की कॉपियां भेजीं। उनमें कोडिंग थी। परीक्षा ड्यूटी को मोबाइल ऐप से लगाया गया। इस वर्ष की परीक्षा में हम लोग इंटरमीडिएट में भी कम्पर्टमेंट परीक्षा का प्राविधान कर रहे हैं।

पहली बार डिजिटल प्रमाणपत्र व अंकपत्र दिए जाएंगे। 3 दिन के अंदर अंकपत्र मिलेंगे।

15 व 30 जुलाई के आसपास सॉफ्टकॉपी मिलने लगेंगी अंकपत्र की। पहले डेढ़ महीने परीक्षा होती थीं। अब 15 दिन में खत्म होती है। पहले आधा आधा ट्रक नकल सामग्री पकड़ी जाती थी। सामूहिक नकल होती थी।

हमने एनसीईआरटी का कोर्स लागू किया। यूपी में ढाई साल में शैक्षिक क्रांति आई इससे। उनकी किताबें उपलब्ध कराईं। वेबसाइट पर किताबों के मूल्यों का अंकन किया। सरकारी स्कूलों में सही दामों में किताबों का इंतजाम किया। 15- 20 साल पहले से सस्ते दामों में किताबें मिल रही हैं और पाठ्यक्रम बेहतर हुआ

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