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जेईई और नीट: परीक्षा स्थगित करने की मांग के लिए आप कार्यकर्ता ने किया प्रदर्शन 

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पुलिसकर्मियों से झड़प के बाद हिरासत में लिया गया

लखनऊ : कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित जेईई-नीट प्रवेश परीक्षा के विरोध में सपा, कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी ने भी मोर्चा खोल दिया है। कोरोना काल में केंद्र सरकार की प्रस्तावित जेईई-नीट प्रवेश परीक्षा के विरोध में आम आदमी पार्टी के प्रदेश यूथ विंग ने हनुमान सेतु के पास जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यूथ विंग कार्यकर्ताओं ने परीक्षा स्थगित कराने की मांग को लेकर नारेबाजी करते प्रदर्शन किया। इस दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग भी किया। जिसके चलते आप कार्यकर्ताओ को चोटें भी आईं। आप कार्यकर्ता भैंसा कुंड तक पैदल मार्च निकालने का प्रयास कर रहे थे

यहां पर विरोध प्रदर्शन कर रहे आप कार्यकर्ताओं का कहना था, कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय परीक्षा कराना अभ्यर्थियों के लिए बहुत ही कठिन और खतरनाक साबित हो सकता है। नीट और जेईई की परीक्षा कराने को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रर्दशन के दौरान पुलिस और आप कार्यकर्ताओं में झड़प हई। मोके मौजुद पुलिस ने कार्यकर्ताओं से अर्थी छीन ली जुससे आक्रोशित कार्यकर्ता सड़क पर ही बैठ गए और शिक्षा मंत्री मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है

विरोध प्रदर्शन के दौरान आप यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष फैसल वारसी ने कहा कि हमारी पार्टी सरकार को बताना चाहती है कि देश में कोरोना की स्थिति फिलहाल सामान्य नहीं है। आंकड़ों पर गौर करें, तो देश कोरोना महामारी से प्रभावित देशों की सूची में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। साथ ही प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा बाढ़ से प्रभावित है। ऐसे हालात में परीक्षा कराना छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करना होगा। केंद्र की भाजपा सरकार देश के भविष्य के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है, जिसे आम आदमी पार्टी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी

उन्होंने कहा कि देश का बहुत बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित है। अभ्यर्थियों का परीक्षा केंद्र तक पहुचना बहुत मुश्किल है और वहां तक पहुचने के लिए उन्हें कई हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे है

इधर, आप के राज्यसभा सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह ने टवी्ट कर भाजपा सरकार से सवाल किया कि पिछले 24 घंटों में दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना केस भारत में रिकॉर्ड किए गए। यह आंकड़ा 75,000 से ज्यादा है। इसके बाद भी केंद्र सरकार लाखों छात्रों को परीक्षा में झोंककर उनकी जान क्यों लेना चाहती है। परीक्षा से ज्यादा बच्चों की जान जरूरी है

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