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फाइलेरिया मरीजों के नेटवर्क से जुड़ने से जीवन में आया बदलाव

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लखनऊ:10 नवम्बर 2022 जीवन में वर्षों से जिस शारीरिक परेशानी से जूझ रहे हों और उसके पूरी तरह से ठीक होने की आस छोड़ चुके हों अगर उसमें धीरे-धीरे सुधार नजर आने लगे तो बेहद राहत महसूस होती  है ऐसा ही कुछ बक्शी का तालाब ब्लॉक के कठवारा गाँव की 65 वर्षीया मालती के साथ हुआ  उन्होंने तो आस ही छोड़ दी थी कि बीमारी से उनको कोई राहत मिलने वाली है लेकिन निरंतर प्रयास और स्वास्थ्य विभाग व संस्थाओं के सहयोग से अब वह बहुत राहत महसूस कर रहीं हैं  मालती 30 साल से फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित हैं और वह  आस छोड़ चुकी थीं कि कभी उन्हें इस बीमारी से राहत या मुक्ति मिलने वाली है  मालती बताती हैं कि 30 साल पहले उन्हें ठंड देकर बुखार आया व कुछ समय बाद दाईं जांघ और दायें स्तन में गांठ पड़ गई   इसके बाद धीरे-धीरे दायें पैर और स्तन में सूजन आ गई  पति लखनऊ से बाहर काम करते थे  सूचना पर वह घर आये और कई जगह इलाज कराये लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ   घर की माली हालत ऐसी नहीं थी कि प्रतिदिन ब्लॉक  या शहर में जाकर इलाज करवाते  जब  सूजन पैर में ज्यादा होती थी तो  दवा मंगाकर खा लेते थे  बुखार आने पर गाँव के ही प्राइवेट डाक्टर को दिखाते थे

पैर और स्तन दोनों ही फाइलेरिया से ग्रसित हैं  सूजन के कारण चलने- फिरने में तो दिक्कत होती ही थी और  मेरे शरीर का वजन 95 किलोग्राम हो गया था मालती बताती हैं कि आठ माह पहले गाँव की आशा कार्यकर्ता के साथ में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च सीफार  संस्था से  सर्वेश मिलने आये आए और उन्होंने हमारे साथ ही अन्य फाइलेरिया ग्रसित मरीजों से बीमारी के बारे में बात की  उन्होंने फाइलेरिया की दवा का कोर्स करने,  व्यायाम करने,  प्रभावित अंगों की सही तरीके से सफाई करने आदि के बारे में बताया  इसकेसाथ ही मच्छरों से बचाव के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी  उनके द्वारा बतायी गई बातों पर अमल करनेका यह परिणाम हुआ कि प्रभावित अंगों के सूजन में कमी आ गई  इसके साथ ही आठ माह में वजन 95 से घटकर 72 किलोग्राम हो गया  पहले चलना तो दूर  उठने  बैठने में बड़ी दिक्कत होती थी वहीं अब चंद्रिका देवी मंदिर रोज पैदल जाते  हैं जो घर से लगभग चार किलोमीटर दूर है

सर्वेश ने गाँव में फाइलेरिया रोगियों का नेटवर्क बनाया जिससे जुड़ने के बाद सभी मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कठवारा में पंजीकरण कराकर चिकित्सक के माध्यम से दवा दिलाई गई   डाक्टर की सलाह पर दवा का सेवन किया  रुग्णता प्रबंधन और दिव्यांगता निवारण  (एमएमडीपी) के प्रशिक्षण में शामिल हुई और बताए गए अभ्यास के अनुसार व्यायाम और प्रभावित अंगों की साफ सफ़ाई की   इसका परिणाम हुआ कि प्रभावित अंगों के सूजन में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आयी  पैर के चिकनेपन में  कमी आई है और वह हल्का हो गया है  जिससे अब चलने-फिरने औरउठने – बैठने में बहुत आराम है मालती बताती हैं कि पहले तो  लगभग हर माह बुखार आता था और बरसात के मौसम में तो जरूर आता था लेकिन सात माह हो गए हैं अभी तक बुखार नहीं आया है वह कहती हैं फाइलेरिया रोगी नेटवर्क से जुड़कर बहुत खुश हूँ  इसके द्वारा  गाँव में अन्य लोगों को फाइलेरिया की दवा का सेवन करने  और मच्छर से बचाव के तरीकों के बारे में बताती हूँ फाइलेरिया मरीजों से नेटवर्क से जुड़ने की गुजारिश भीकरती हूँ

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