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लखनऊ के रहने वाले विंग कमांडर हर्षित सिन्हा की जैसलमेर के पास मिग 21 क्रैश में हुई मौत

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यूपी : भारतीय वायुसेना का एक मिग-21 लड़ाकू विमान शुक्रवार शाम राजस्थान के जैसलमेर के पास क्रैश हो गया था। इस हादसे में पायलट से विंग कमांडर बने हर्षित सिन्हा शहीद हो गए थे। वह लखनऊ के रहने वाले थे। जांबाज हर्षित सिन्हा एयरफोर्स के सबसे दक्ष पायलट थे। उन्हें 2500 घंटे से ज्यादा फाइटर विमान उड़ाने का अनुभव था। जैसलमेर एयरफोर्स स्टेशन से मिग 21 टेक-ऑफ होते ही करीब बीस मिनट बाद हवा में हादसे का शिकार हो गया

रविवार को लखनऊ पहुंच सकता है शव

नाइट शॉर्टी के लिए गए विंग कमांडर को इमरजेंसी में इजैक्ट करने का भी मौका नहीं मिला और वे बुरी तरह से झुलस गए। धधकते हुए विमान के टुकड़े गिरने शुरू हो गए। इस दौरान पायलट का शव भी कई टुकड़ों में बिखर गया। सिन्हा अपनी स्क्वाड्रन के साथ प्रैक्टिस के लिए श्रीनगर एयरबेस से जैसलमेर पहुंचे थे। शहीद हर्षित सिन्हा का पार्थिव शरीर रविवार को लखनऊ पहुंच सकता है। उनकी पत्नी भी एयरफोर्स में रह चुकी हैं। उनकी दो बेटियां हैं। उनका परिवार मूलरूप से अयोध्या का रहने वाला है

श्रीनगर में बर्फबारी के कारण प्रैक्टिस के लिए जैसलमेर आए

श्रीनगर में इन दिनों बर्फबारी होने के कारण फाइटर जेट की नियमित उड़ानें नहीं हो पा रही हैं। श्रीनगर एयरबेस पर तैनात मिग 21 बायसन की 51 स्क्वाड्रन कुछ दिन पहले ही जैसलमेर पहुंची थीं। जैसलमेर एयरबेस पर अभी एक भी स्क्वाड्रन तैनात नहीं हैं। ऐसे में देश भर से लड़ाकू विमान प्रैक्ट्रिस के लिए जैसलमेर आते हैं। वहीं, चांधन फील्ड फायरिंग रेंज में इस स्क्वाड्रन की फायर प्रैक्टिस होने वाली थीं। ग्राउंड जीरों पर डेजर्ट पार्क में दूर-दूर तक बिखरे विमान के टुकड़ों को सुबह से समेटने का काम शुरू किया गया। एयरफोर्स और पुलिस के अधिकारी लगातार इसी काम में लगे हैं। इस बीच, ब्लैक बॉक्स की खोज भी की जा रही है। उससे ही हादसे की वास्तविक स्थिति की जांच हो सकेगी। फिलहाल एयरफोर्स ने जांच के आदेश दे दिए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया- आग का गोला बनकर गिरा

शुक्रवार को भारत-पाकिस्तान बार्डर से लगे सम इलाके के डेजर्ट नेशनल पार्क में रात 8:20 बजे भारतीय वायुसेना का मिग 21 क्रैश हो गया था। जिस समय हादसा हुआ, उस समय सर्दी के असर और गांव में जल्दी सोने के कारण लोग घरों में थे। हादसे से 4 किलोमीटर दूर नींबा गांव में घर के बाहर आंगन में बैठे गुलाम रसूल को आसमान में आग का गोला नजर आया। आग का गोला तेज आवाज के साथ जमीन पर आ गिरा।

गुलाम रसूल ने बताया कि वे सब जहां आग का गोला गिरा उस तरफ दौड़े। घटना स्थल पर पहुंचे तो विमान का मलबा था, उसमें आग लगी हुई थी। तब समझ आया कि ये विमान है। चूंकि विमान हादसा डेजर्ट नेशनल पार्क में हुआ था, इसलिए किसी को भी अंदर जाने कि इजाजत नहीं थी। वहां डीएनपी के अधिकारियों से पता चला कि विमान के पायलट की हादसे में मौत हो चुकी है। यह बस एक सदमे जैसा था। समझ नहीं आया कि अचानक एक झटके में सब कैसे हो गया।ल

कई किमी के दायरे में फैला मलबा

वन विभाग के डेजर्ट नेशनल पार्क के रेंजर हादसे के समय सुदासरी में ही मौजूद थे। उन्होंने बताया कि करीब 8 बजकर 20 मिनट पर आसमान में विमान को आग में घिरे जमीन की तरफ गिरते हुए देखा- &https://www.youtube.com/channel/UCcj8JxdUrXPVdAxW-blFheA8216;हम सब मौके के लिए भागे। विमान का मलबा करीब 2 किलोमीटर के एरिया में फैल गया और उसमें आग लग गई। चारों तरफ आग लगी थी। हमने देखा कि वायुसेना के पायलट की दर्दनाक मौत हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में वायुसेना के लोग और जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने एरिया को सील कर दिया और पायलट के शव को अपने साथ ले गए&https://www.youtube.com/channel/UCcj8JxdUrXPVdAxW-blFheA8217;। जगह-जगह बिखरे विमान के टुकड़ों के ठंडा होने का बस इंतजार करना था। इसके बाद एयरफोर्स के अधिकारियों ने मोर्चा संभाल लिया था। वे कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गए थे

आधे से अधिक मिग फाइटर हो चुके हैं क्रैश

1963 से लेकर अब तक इंडियन एयर फोर्स को विभिन्न श्रेणी के 872 मिग फाइटर प्लेन मिल चुके हैं। इनमें से करीब 500 फाइटर क्रैश हो चुके हैं। इन हादसों में करीब 200 पायलट्स व 56 आम लोगों को जान गंवानी पड़ी। अब एयरफोर्स के पास बहुत कम संख्या में मिग श्रेणी के विमान बचे है। मिग विमानों को तेजस से रिप्लेस करना है, लेकिन तेजस मिलने में होने वाली देरी अब भारी पड़ने लगी है

बीएस धनोआ ने उठाया था सवाल

तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने वर्ष 2019 में भी इस बात का ज़िक्र किया था। उन्होंने कहा था कि भारतीय वायुसेना 44 साल पुराना मिग-21 विमान उड़ा रही है। जबकि कोई इतने समय तक अपनी कार भी नहीं चलाता है। मिग श्रेणी के लड़ाकू विमान पिछले 50 वर्षों से भारतीय वायु सेना की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं।

 

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