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दवाई भी-कड़ाई भी  के सूत्र से मिली आठ लाख लोगों को कोविड संक्रमण से मुक्ति

 लखनऊ : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को टीम इलेवन के साथ कोरोना स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाओं की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि विगत 24 घंटों में उत्तर प्रदेश में 26,719 लोग उपचारित होकर डिस्चार्ज हुए हैं। प्रदेश में अब तक 8.04 लाख से अधिक लोग कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। यह सुखद स्थिति दवाई भी कड़ाई भी क सूत्र को प्रभावी ढंग से अमल में लाने का परिणाम है। हमें टेस्टिंग और ट्रेसिंग को दोगुनी क्षमता में बढ़ाने की जरूरत है। इस दिशा में कार्रवाई की जाए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में प्रदेश के अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं स्थगित हैं। ऐसे में टेलीकन्सल्टेशन को बढ़ावा दिया जाए। कोविड होम आइसोलेशन और नॉन कोविड मरीजों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की सूची व संपर्क माध्यम का व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए।

होम आइसोलेशन में इलाजरत मरीजों से सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से हर दिन संवाद बनाया जाए। उन्हें न्यूनतम एक सप्ताह की अवधि के लिए मेडिकल किट उपलब्ध कराया जाए। स्वास्थ्य मंत्री के स्तर से मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की जिलेवार समीक्षा की जाए। सीएमओ की जवाबदेही तय की जाए। दवाओं का कोई अभाव नहीं है। अस्पतालों में इलाजरत मरीजों से हर दिन संवाद बनाया जाए।

ऑक्सीजन की आपूर्ति हर दिन बढ़ती जा रही है। रुड़की, काशीपुर, मोदीनगर के साथ-साथ बोकारो आदि प्लांट से लगातार आपूर्ति सुनिश्चित कराई जा रही है। एमएसएमई इकाइयों को भी सीधे अस्पतालों से लिंक कर आपूर्ति कराई जा रही है। टाटा और रिलायंस समूहों की ओर से भी प्रदेश को ऑक्सीजन आपूर्ति का प्रस्ताव मिला है। सम्बंधित लोगों से संवाद कर तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए।

सभी जिलों के प्रत्येक छोटे-बड़े अस्पताल की स्थिति पर नजर रखी जाए। जिसे भी जरूरत होगी, ऑक्सीजन जरूर मुहैया कराई जाए। ऑक्सीजन की बेहतर आपूर्ति-वितरण के लिए प्रदेश की सात संस्थाओं द्वारा ऑक्सीजन की ऑडिट भी कराई जा रही है। ऑक्सीजन टैंकरों की संख्या बढ़ाये जाने के सम्बंध में विशेष प्रयास की जरूरत है। इसमें भारत सरकार से भी सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। ऑक्सीजन टैंकर को जीपीएस से जोड़ते हुए इनके संचालन की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाए।

कोई भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल बेड उपलब्ध होने पर कोविड पॉजिटिव मरीज को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकता है। यदि सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित अस्पताल उसे निजी चिकित्सालय में रेफर करेगा। निजी हॉस्पिटल में मरीज भुगतान के आधार पर उपचार कराने में यदि सक्षम नहीं होगा, तो ऐसी दशा में राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत अनुमन्य दर पर वहां उसके इलाज का भुगतान करेगी।

हर दिन की परिस्थितियों पर दृष्टि रखते हुए शासन द्वारा हर दिन नीतिगत प्रयास किए जा रहे हैं। सभी मंडलायुक्त/जिलाधिकारी शासन के सतत संपर्क में रहें। व्यापक जनहित में कोई निर्णय लेने से पूर्व शासन को अवगत जरूर कराएं। आमजन को सुविधा व राहत देने के संबंध में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें।

कोविड से लड़ाई जीत चुके बहुत से लोग मरीजों की सेवा के इच्छुक हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इनकी जिलेवार सूची तैयार कराएं। इनमें चिकित्सक होंगे, सैन्य कर्मी होंगे, पैरामेडिकल स्टाफ आदि हो सकते हैं।आवश्यकतानुसार अस्पतालों आदि में इनकी सेवाएं ली जाएं।

रेमडेसिविर जैसी किसी भी जीवनरक्षक दवा का प्रदेश में अभाव नहीं है। हर दिन इसकी आपूर्ति बढ़ रही है। जिलों की मांग को देखते हुए रेमेडेसीवीर के पर्याप्त वॉयल उपलब्ध कराए जाएं। सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन निःशुल्क उपलब्ध है, जरूरत होगी तो निजी अस्पतालों को भी तय दरों पर रेमडेसिविर मुहैया कराई जाए। इसके साथ-साथ इसकी कालाबाजारी पर पुलिस लगातार नजर रखे।

इंटीग्रेटेड कमांड एन्ड कंट्रोल सेंटर से मरीज को जो अस्पताल आवंटित किया गया है, वहां उसे एडमिट करना अनिवार्य है। जिलाधिकारी यह सुनिश्चित कराएं। अन्यथा की दशा में जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री कार्यालय से इसकी मॉनिटरिंग की जाए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हालत रविवार को पूरी तरह ठीक रही अखिलेश यादव की दवाई लेनी भी बंद

लखनऊ : कोरोना संक्रमित यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हालत रविवार को पूरी तरह ठीक रही। अब उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही है। उनका ऑक्सीजन लेवल, ब्लड प्रेशर सहित अन्य जांच रिपोर्ट सामान्य बताई गई है। वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं।

वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की हालत भी रविवार को ठीक रही। उन्हें किसी तरह की दिक्कत महसूस नहीं हो रही है। अब उन्होंने दवाई लेनी भी बंद कर दी है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से कोरोना के रिकॉर्ड मरीज मिल रहे हैं। वहीं, देश में भी कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है। प्रतिदिन कोरोना के नए मरीजों और कोविड से होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है। लगातार बढ़ते मरीजों के चलते स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई है।

देश में पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 3.53 लाख नए कोरोना मरीज मिले हैं और 2812 से ज्यादा लोगों की संक्रमण से जान चली गई। यह दुनिया के किसी भी देश में एक दिन में मिले नए कोरोना मरीज और कोविड से होने वाली मौतों की सबसे अधिक संख्या है।

देश में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने के चलते सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में बेड, वेंटिलेटर, रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की किल्लत जारी है। वहीं श्मशान घाटों पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए कई घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है। कई जगह श्मशान घाट पर जगह नहीं होने के चलते पार्कों में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटों में 3,52,991 नए कोरोना मरीज मिल हैं। इसके साथ ही देश में संक्रमित मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 1,73,13,163 हो गई है। वहीं बीते 24 घंटों में 2812 लोगों ने कोरोना की वजह से दम तोड़ दिया। इसके साथ कोविड से मरने वालों की संख्या 1,95,123 पहुंच गई। महामारी के दस्तक देने से लेकर अब तक एक दिन में मिले नए कोरोना मरीजों की यह सर्वाधिक संख्या है।

संक्रमण का आंकड़ा हुआ स्थिर और चार गुना बढ़ी ठीक होने की दर

लखनऊ :संक्रमण की दूसरी लहर से कराह रही राजधानी के लिए राहत भरी खबर आई है। कोरोना को मात देने वालों की दर इस महीने की शुरुआत के मुकाबले अब चार गुने से भी ज्यादा हो गई है। अप्रैल के पहले सप्ताह में संक्रमितों के मुकाबले स्वस्थ होने की दर 25.60 प्रतिशत थी जबकि चौथे सप्ताह के पहले चार दिनों में यह117.84 प्रतिशत पहुंच गई है। राजधानी में 13 अप्रैल से रोज पांच हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। 16 को यह आंकड़ा साढ़े छह हजार पार था। अब तक के आंकड़ों के अनुसार, संक्रमण के नए मामले स्थिर हो गए हैं।

वहीं, अच्छी बात यह है कि स्वस्थ होने वालों का ग्राफ तेजी से बढ़ा हैं। महीने की शुरुआत में जहां रोजाना स्वस्थ होने वालों की संख्या 200 के करीब और दर 25.6 प्रतिशत थी। दूसरे सप्ताह में यह आंकड़ा एक हजार के पार पहुंच गया और दर 19.45 फीसदी रही। तीसरे सप्ताह स्वस्थ होने वालों की संख्या दो हजार से ज्यादा और दर 39.09 प्रतिशत रही। वहीं, 22 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच हर दिन पांच हजार से ज्यादा लोग रोज स्वस्थ हुए और दर 117.84 तक पहुंच गई।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार स्वस्थ होने वालों में ज्यादातर लोग होम आइसोलेशन के हैं। करीब 80 फीसदी लोग होम आइसोलेशन और 20 फीसदी लोग अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं। डॉक्टरों के अनुसार, कुल संक्रमितों में से करीब 10 फीसदी को ही अस्पताल की जरूरत होती है। बाकी 90 फीसदी लोग घर में ही ठीक हो रहे हैं। अस्पताल में भर्ती लोगों को ठीक होने में थोड़ा समय लगता है। इसलिए कुल स्वस्थ होने वालों में उनकी भागीदारी सिर्फ 20 फीसदी ही होती है। विभागाध्यक्ष पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन, डॉ. वेदप्रकाश ने बताया कि लखनऊ के साथ ही पूरे प्रदेश में ठीक होने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। यह सुखद स्थिति है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में संक्रमण के मामलों में भी काफी कमी आएगी।

तारीख- संक्रमित- स्वस्थ स्वस्थ होने की दर

1 से 7 अप्रैल- 7699 1971 25.60

8 से 15 अप्रैल- 28513 5546 19.45

16 से 21 अप्रैल- 40088 15672 39.09

21 से 25 अप्रैल- 21569 25418 117.84

राज्य सरकार सभी लोगों को गुणवतापरक चिकित्सीय सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य सरकार सभी लोगों को गुणवतापरक चिकित्सीय सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कोविड-19 के उपचार की व्यवस्थाओं को प्रभावी ढंग से जारी रखने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री रविवार को वर्चुअल माध्यम से आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 1 मई से 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के कोविड टीकाकरण की व्यवस्था लागू की जा रही है। टीकाकरण का यह नया चरण कोविड-19 से लड़ाई में निर्णायक सिद्ध होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कल की तुलना में आज नए कोविड मरीजों की संख्या में कमी आई है। वहीं दूसरी ओर कोरोना से रिकवर हुए मरीजों की संख्या में कल की अपेक्षा वृद्धि हुई है। यह एक आशाजनक संकेत है। उन्होंने कोरोना के खिलाफ जंग को पूरी मजबूती से जारी रखने पर बल दिया।

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग को सभी जिलों में कोविड बेड की संख्या को दोगुना करने के लिए तेजी से कार्यवाही के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग कोविड अस्पतालों में आईसीयू तथा आइसोलेशन बेड का जिलावार डाटा तैयार करें, जिससे कोरोना मरीजों को त्वरित उपचार पूरी सहजता से उपलब्ध हो सके। उन्होंने अधिकारियों को ऑक्सीजन ऑडिट के मानक तय करने के निर्देश भी दिए हैं।

उन्होंने कहा है कि अस्पतालों एवं ऑक्सीजन उत्पादन व रीफिलिंग से जुड़ी इकाइयों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो। समीक्षा में चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना, स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह व वरिष्ठ अधिकारी वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि कोरोना की नई दवा के सम्बन्ध में आईसीएमआर से संवाद किया जाए। केंद्र सरकार के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल द्वारा इस दवा को मंजूरी दे दी गई है। कोविड मरीजों के उपचार में इसका उपयोग आईसीएमआर द्वारा अनुमन्य किए जाने के बाद ट्रायल के तौर पर सर्वप्रथम लखनऊ, वाराणसी व कानपुर नगर में किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि निजी चिकित्सालय द्वारा मरीजों से निर्धारित मूल्य से अधिक शुल्क न लिया जाए। अगर ऐसा होता है, तो उस संस्थान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर सहित सभी जीवनरक्षक दवाओं की निर्बाध आपूर्ति के लिए आवश्यक है कि इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जाए। ऑक्सीजन तथा जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और एनएसए के तहत कठोरतम कानूनी कार्रवाई हो।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि मेडिकल किट वितरण के कार्य में आंगनबाड़ी तथा आशा वर्कर्स की भी सेवाएं प्राप्त की जाएं। इस कार्य के लिए इन्हें इन्सेन्टिव भी दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि मास्क के अनिवार्य उपयोग के लिए जुर्माने की प्रभावी कार्यवाही की जाए। जुर्माने से प्राप्त धनराशि का 50 प्रतिशत उपयोग सड़क सुरक्षा तथा शेष 50 प्रतिशत धनराशि का उपयोग गरीब व जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क मास्क देने के साथ-साथ पुलिस बल को मास्क, ग्लव्स व सेनिटाइजर उपलब्ध कराने में किया जाए। मास्क को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से तैयार कराया जाए।

सख्ती लंबी खिंचने से अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव

लखनऊ  : कोरोना कर्फ्यू व्यापारियों के स्तर से स्वत: बंदी व कोविड प्रोटोकॉल के चलते लोगों के कम से कम बाहर निकलने का राज्य की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रभाव वित्त वर्ष 2020-21 जैसा घातक होने की आशंका अभी नजर नहीं आ रही है। पर, इस विपत्ति काल में सरकार को खर्च की प्राथमिकता का नए सिरे से निर्धारण जरूर करना होगा।

वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी की वजह से राज्य के सारे बजट अनुमान गड़बड़ा गए थे। फिर भी सरकार ने कोरोना की पहली लहर से निपटने के बाद विजय भाव में वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में अर्थव्यवस्था व विकास की गुलाबी तस्वीर पेश की। पर इस वित्त वर्ष का पहला महीना शुरू हुआ कि कोरोना की दूसरी लहर आ गई। वहीं, संक्रमण इतना भयावह कि इससे निपटने की सारी तैयारी व अनुमान ध्वस्त साबित हो गए हैं।

राज्य सरकार सप्ताहांत लॉकडाउन लगा रही है तो व्यापारी अपने स्तर पर अलग-अलग दिन बंदी कर रहे हैं तो कई जगहों पर बाजार खुलने के समय में कटौती कर दी गई है। वहीं, आम लोगों ने भी घरों से निकलना लगभग बंद ही कर दिया है। क्लब, होटल और रेस्तरां सूने नजर आने लगे हैं। जबकि कोरोना की दूसरी लहर के पीक पर आने में अभी 20 दिन लगने का अनुमान है।

इधर राज्य कर विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में यह सख्ती जारी रहने की संभावना है। यह सख्ती जितना लंबी खिंचेगी, अर्थव्यवस्था पर इसका उतना ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा आमतौर पर सहालग, नवरात्रि आदि मौकों पर बाजारों में खूब रौनक रहती है। लोग जमकर खरीदारी करते हैं। पर कोरोना की दूसरी लहर इन्हीं आयोजन के बीच तेज हो गई। इससे पहले तय आयोजन, कारोबारी आर्डर रद्द किए जा रहे हैं। वहीं जहां आयोजन हो रहे हैं, वहां खर्च सीमित हो गया है। इसका असर वाहन, सराफा, गारमेंट, टेंट, होटल, हलवाई, फर्नीचर व स्थानीय बाजार पर पड़ना शुरू हो गया है। मई के अंत तक हालात सामान्य होने का अनुमान है। वित्त विभाग के विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर पहली तिमाही के दो माह असामान्य रहे तो इसका पूरी पहली तिमाही पर गंभीर नकारात्मक असर हो सकता है। इसका वार्षिक अनुमान पर भी असर पड़ेगा।

चुनाव भी खर्च का एक बड़ा मौका होता है। आचार संहिता व बंदिशों के बावजूद मानक से कई गुना खर्च हो जाता है। पर कोरोना की वजह से प्रचार सभाओं की न के बराबर अनुमति, 5 से ज्यादा लोगों के जुटने पर पाबंदी, एक साथ चार चुनाव की वजह से भी यह खर्च अनुमान से बहुत कम पर सिमट गया है। पंचायत चुनाव में पर्दे के पीछे मतदाताओं में पैसे भी खूब बंटते रहे हैं। जबकि इस बार अब तक छिटपुट घटनाएं ही पकड़ में आई हैं। ऐसे में चुनाव का खर्च सीमित हो गया है। बाजार भी प्रभावित हो रही है।

दो चरणों में जिन जिलों में पंचायत चुनाव हो चुका है, वहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा

लखनऊ  : दो चरणों में जिन जिलों में पंचायत चुनाव हो चुका है, वहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। पंचायत चुनाव के बाद प्रदेश भर में मिलने वाले कुल मरीजों में चुनाव वाले जिलों में औसतन 4 से 8 फीसदी अधिक केस मिल रहे हैं। अब स्वास्थ्य विभाग इन जिलों में विशेष निगरानी रखने की रणनीति बना रहा है।

पहले चरण में शामिल 18 जिलों में 15 अप्रैल को पंचायत चुनाव हो चुका है। चुनाव से पहले संक्रमित मरीजों में इन 18 जिलों के मरीजों की हिस्सेदारी 21.34 फीसदी थी। पंचायत चुनाव के 2 दिन बाद 17 अप्रैल को मिले कुल मरीजों में इन 18 जिलों की हिस्सेदारी लगभग 29 फीसदी हो गई। अब लगातार यही स्थिति बनी हुई है।

इसी तरह दूसरे चरण में शामिल 19 जिलों में 19 अप्रैल को चुनाव हो चुका है। चुनाव से पहले कुल मरीजों में इन जिलों की हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी थी। जो चुनाव के बाद 44 फीसदी तक पहुंच गई। दो चरणों में चुनाव में शामिल रहने वाले जिलों में संक्रमण बढ़ने की वजह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होना माना जा रहा है। क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान ग्रामीण इलाके में लोगों ने न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और न ही मास्क लगाया। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि जिन जिलों में संक्रमण बढ़ रहा है, वहां के लिए अलग से रणनीति बनाने का निर्देश दिए गए हैं। सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है, उन्हें बेड बढ़ाने और दवाओं समेत अन्य इंतजाम करने को कहा गया है। कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग का दायरा बढ़ा दिया गया है।

पहले चरण में शामिल कानपुर नगर में 13 अप्रैल को 716 मरीज मिले थे। वहां 19 अप्रैल को 1365 संक्रमित मिले। इसी तरह महोबा में 23 मरीज मिले थे, जो 19 अप्रैल को 41 पर पहुंच गए। हरदोई में 56 मरीज थे, यह संख्या 265 पर पहुंच गया। वहीं, दूसरे चरण में शामिल गौतमबुद्ध नगर जिले में 17 अप्रैल को 402 मरीज मिले थे। वहां 24 अप्रैल को यह आंकड़ा 970 पर पहुंच गए। सुल्तानपुर में 293 मरीज मिले थे, जो 24 अप्रैल को 400 पर पहुंच गए।  इसी तरह से सभी जिलों में बढ़ोतरी हुई।

प्रदेश महासचिव सपा व्यापार सभा अभिमन्यु गुप्ता का कहना है कि सरकार ने बोर्ड परीक्षा स्थगित कर दिया, लेकिन मांग करने के बाद भी चुनाव नहीं रोका। इसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार हुई। कोरोना सिर्फ शहरों तक सीमित था, लेकिन पंचायत चुनाव के बाद हर गांव में पहुंच गया है। अब वहां लोग तड़प रहे हैं, पर उन्हें न दवाई मिल रही है और न भर्ती करने की कोई व्यवस्था है।

पहले चरण में सहारनपुर, गाजियाबाद, रामपुर, बरेली, हाथरस, आगरा, कानपुर नगर, झांसी, महोबा, प्रयागराज, रायबरेली, हरदोई, अयोध्या, श्रावस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर, जौनपुर और भदोही शामिल थे। जबकि दूसरे चरण में मुजफ्फरनगर, बागपत, गौतम बुद्ध नगर, बिजनौर, अमरोहा, बदायूं, एटा, मैनपुरी, कन्नौज, इटावा, ललितपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, गोंडा, वाराणसी व आजमगढ़ शामिल थे।

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