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जिलाधिकारी और एक सिटी मजिस्ट्रेट के बीच विवाद व नोकझोंक की चर्चा

लखनऊ : में जिलाधिकारी और एक सिटी मजिस्ट्रेट के बीच विवाद व नोकझोंक की चर्चा गुरुवार को जोरों पर रही। कहा जा रहा है कि एक दिन पहले जिलाधिकारी का छोटा इमामबाड़ वैक्सीनेशन कैंप के निरीक्षण के दौरान सिटी मजिस्ट्रेट से विवाद हो गया और दोनों में काफी नोकझोंक हुई। चर्चा है कि विवाद के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने शासन में मामले की शिकायत की है। हालांकि, इस मामले में जब जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश से बात की गई तो उन्होंने कोई भी विवाद न होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह आज इमामबाड़ा गए ही नहीं। बाकी मंगलवार या बुधवार को वैक्सीनेशन सेंटर के दौरे के दौरान उन्होंने व्यवस्था, अव्यवस्था को लेकर ही अधिकारियों से कहा, सुना था। किसी से कोई उनका विवाद नहीं हुआ।

बताया जा रहा है कि डीएम जब छोटा इमामबाड़ा के दौरे पर गए तो उन्होंने वहां व्यवस्था में खामियों को लेकर नाराजगी जताई। चर्चा है कि सिटी मजिस्ट्रेट ने उनकी नाराजगी के तरीके पर आपत्ति की और इसी पर नोकझोंक हो गई। हालांकि, सिटी मजिस्ट्रेट से जब इस मामले में पक्ष जानना चाहा गया तो उनका एक फोन उठा नहीं और दूसरा नंबर डायवर्ट बताता रहा। व्हाट्सएप और मेसेज के जरिए भी डीएम से उनके विवाद की चर्चाएं चलने का संदेश भेजकर उनसे अपना पक्ष देने को कहा गया, लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। उधर, अपर जिलाधिकारी पूर्वी केपी सिंह और अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमरपाल सिंह ने टीकाकरण की स्थिति पर जारी अपने बयान में कहा है कि टीकाकरण केंद्र पर कतिपय वरिष्ठ अधिकारियों के विषय में प्रसारित बात असत्य व निराधार है।

सीएम योगी ने दिए सख्त निर्देश

लखनऊ :मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना टीकाकरण में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें किसी तरह की शरारत की शिकायत मिले तो संबंधित के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। टीकाकरण केंद्र पर कोविड प्रोटोकॉल का हर हाल में पालन कराया जाए। टीकाकरण की स्थिति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभियान को तेज किया जाए। एक जून से सभी जिलों में टीकाकरण चल रहा है। इसकी लगातार मानीटरिंग की जाए। लोगों को टीकाकरण के बारे में जागरूकता अभियान निरंतर चलता रहे। उन्होंने टीकाकरण केंद्रों की संख्या बढ़ाने, पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस दौरान अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि पिछले 24 घंटे में तीन लाख 61 हजार सात सौ 86 से अधिक लोगों का टीकाकरण किया गया है। गुरुवार शाम तक प्रदेश में कुल एक करोड़ 94 लाख 12 हजार 540 डोज लगाए जा चुके हैं। इसमें एक करोड़ 58 लाख 51 हजार नौ सौ 31 को पहली डोज और 35 लाख 60 हजार 609 को दूसरी डोज लगाई गई है। प्रदेश में टीकाकरण के लिए 6027 केंद्र बनाए गए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टीम 9 की बैठक में निर्देश दिया कि 20 जून तक सभी जिलों में पीआईसीयू और एनआईसीयू का कार्य पूरा करा लिया जाए। सभी मेडिकल कॉलेजों में 100-100 बेड के पीआईसीयू स्थापित किए जा रहे हैं। इसके साथ 50 बेड का एनआईसीयू भी बनाया जाए। इसी तरह जिला अस्पताल और सीएचसी स्तर पर भी मिनी पीकू स्थापित किए जा रहे हैं। सभी जिलाधिकारी हर दिन पीआईसीयू और एनआईसीयू निर्माण कार्य की मानीटरिंग करें। प्रदेश में 85 मास्टर ट्रेनरों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण चल रहा है। डॉक्टरों, नर्सिंग स्टॉफ  आदि के लिए पीडियाट्रिक केयर ट्रेनिंग भी चल रहा है। प्रशिक्षण की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि चार जून से कोविड प्रोटोकाल का ध्यान रखते हुए ओपीडी शुरू की जा रही है। प्रयास किया जाए कि ज्यादा से ज्यादा लोगोंको ई संजीवनी और टेली कंसल्टेशन के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाए। विशेष परिस्थितियों में ही ओपीडी में मरीज आएं। किसी भी दशा में कहीं भी कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन न हो।

मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने खेत तालाब के लिए जियो टैगिंग अनिवार्य रूप से कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि स्प्रिंकलर और ड्रिप इरीगेशन की फर्मों को अंतिम रूप देने के लिये एक समिति का गठन किया जाए। जिसमें वित, नियोजन, एमएसएमई और कृषि के प्रतिनिधियों को जरूर शामिल किया जाए। मुख्य सचिव ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अंतर्गत गठित सातवीं राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति (एसएलएससी) की वीडियो  कांफ्रेंसिंग से आयोजित बैठक में ये निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि उद्यान विभाग को जो पंजीकरण एवं आवेदन शुल्क मिला है, उसमें से एक वर्ष की प्रभावी कार्य योजना तैयार कर अनुमोदित कराई जाए। स्प्रिंकलर के लिए अधिकतम क्षेत्र 05 हेक्टेयर से कम करके 02 हेक्टेयर कर दिया जाए। जिससे अधिक से अधिक लघु एवं सीमांत किसानों को लाभ मिल सके। अपर मुख्य सचिव कृषि डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने बताया गया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में मुख्यत: चार घटक त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी), हर खेत को पानी, पर ड्राप मोर क्रॉप एवं जलागम विकास के कार्यक्रम चल रहे हैं। एआईबीपी घटक के अंतर्गत सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग सरयू (राष्ट्रीय नहर), अर्जुन सहायक नहर, मध्य गंगा नहर (फेज-2) संचालित की जा रही हैं। इन योजनाओं से अब तक 13.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचन क्षमता सृजित हो चुकी है। इनके पूरा होने पर 15.94 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि एक हजार करोड़ रुपये की खेत तालाब योजना में प्रदेश में 10 हजार खेत तालाबों का निर्माण कराया जाना है। उद्यान विभाग ने 665.57 करोड़ रुपये की परियोजना पेश की। जिसके माध्यम से 1.40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली से सिंचन क्षमता विकसित की जाएगी। लघु सिंचाई विभाग ने मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत 94573 नलकूप एवं सामुदायिक ब्लास्ट कूप योजना के अंतर्गत 804 ब्लास्ट कूप निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसमें 247.50 करोड़ रुपये व्यय किया जाना प्रस्तावित है। वीडियो कांफ्रेंसिंग में उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने खेत तालाब के लिए जियो टैगिंग अनिवार्य रूप से कराने और उद्यान विभाग की ओर से स्प्रिंकलर एवं ड्रिप इरीगेशन फर्मों को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति का गठन करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के क्रियान्वयन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की बृहस्पतिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक  हुई। इसमें लघु एवं सीमांत किसानों को लाभान्वित करने के लिएस्प्रिंकलर के लिए आवश्यक अधिकतम क्षेत्र पांच हेक्टेयर भूमि की अनिवार्यता को कम कर दो हेक्टेयर करने के प्रस्ताव पर पीएमकेएसवाई के निदेशक पंकज त्यागी ने सहमति दी।

बैठक में कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के तहत वर्ष 2020-21 में योजनाओं पर 2,026 करोड़ रुपये व्यय किया गया है। इनमें से अब तक 13.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचन क्षमता सृजित हो चुकी है जबकि इनके पूर्ण होने पर इन परियोजनाओं से 15.94 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हो जाएगी। हर खेत को पानी घटक के तहत सरयू नहर परियोजना फेज-3 एवं अर्जुन सहायक नहर परियोजना के तहत कृषकों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए गूलों और अन्य संरचनाओं का निर्माण कराया जाएगा।

सहायक नगर परियोजना के तहत जिन विकासखंडों में 750 मिलीमीटर से अधिक वर्षा होती है वहां पर विभिन्न प्रकार के बोरिंग और ब्लास्ट कूपों का निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया, पर ड्राप मोर क्रॉप योजना के तहत माइक्रो इरीगेशन के तहत उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की ओर से ड्रिप 8841 हेक्टेयर एवं स्प्रिंकलर 49,261 हेक्टेयर में स्थापित कराया गया। इसके अलावामुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के तहत 94,573 नलकूप एवं सामुदायिक ब्लास्ट कूप योजना के तहत 804 ब्लास्ट कूप निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

रोजगार देने में दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल से आगे है यूपी

लखनऊ : यूपी रोजगार मुहैया कराने में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु के मुकाबले काफी आगे हैं। इसकी जानकारी सेंटर ऑर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की मई महीने की रिपोर्ट में दी गई है। इसका दावा करते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि यूपी में बेरोजगारी की दर 6.9 फीसदी है। यह मार्च 2017 के तुलना में तीन गुना कम है।  रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में बेरोजगारी दर 45.6 फीसदी, राजस्थान में 27.6, केरल में 23.5, पश्चिम बंगाल में 19.3, तमिलनाडु में 28.0, झारखंड में 16.0, आंध्र प्रदेश में 13.5 पंजाब में 8.8 और छत्तीसगढ़ में 8.3 फीसदी है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक जब भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, उस वक्त प्रदेश में बेरोजगारी दर का आंकड़ा 17.5 फीसदी था। सरकार विभिन्न विभागों, संस्थाओं व निगमों के जरिए लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रही है। प्रदेश के 4 लाख से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी, 15 लाख से अधिक लोगों को निजी क्षेत्र में और लगभग 1.5 करोड़ लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा है।

मायावती की बसपा में अब सतीश ही बड़े नेता

लखनऊ : मायावती के नेतृत्व वाली बसपा में उनके अलावा अब सिर्फ  सतीश चंद्र मिश्रा ही बड़े नेता रह गए हैं। बाकी सभी प्रमुख नेता एक-एक कर या तो बसपा छोड़ गए या निष्कासित कर दिए गए। जो नेता हैं भी, उनकी कोई खास भूमिका नहीं रह गई है।बसपा संस्थापक कांशीराम के मूवमेंट व उसके बाद जुड़े ज्यादातर प्रमुख नेता अब बसपा से बाहर हो चुके हैं। कांशीराम की बसपा में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राज बहादुर, आरके चौधरी, दीनानाथ भास्कर, मसूद अहमद, बरखूराम वर्मा, दद्दू प्रसाद, जंगबहादुर पटेल और सोनेलाल पटेल जैसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त हुआ करती थी। स्वामी प्रसाद मौर्य, जुगुल किशोर, सतीश चंद्र मिश्र, रामवीर उपाध्याय, सुखदेव राजभर, जयवीर सिंह, ब्रजेश पाठक, रामअचल राजभर, इंद्रजीत सरोज, मुनकाद अली और लालजी वर्मा भी बसपा की रीति-नीति के सहभागी बने।

ये सभी अपने-अपने समाज व क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रखते रहे हैं। कई लोगों की बसपा काडर के बीच प्रदेश स्तर पर खासा प्रभाव हुआ करता था। मगर, बसपा में मायावती का प्रभाव जैसे-जैसे बढ़ा एक-एक नेता बसपा से बाहर होते गए। कई ने अपनी पार्टी या संगठन बनाकर अलग राह चुनी तो ज्यादातर दूसरे दलों के साथ हो लिए।हाल के वर्षों में नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित कई लोग आज कांग्रेस में चले गए तो स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, जुगुल किशोर व दीनानाथ भास्कर सहित तमाम पुराने चेहरे भाजपा के साथ आ गए। लोकसभा चुनाव में बना सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद बसपा नेताओं की सपा में जाने की लाइन लग गई। पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज, आरके चौधरी व राम प्रसाद चौधरी सहित बड़ी संख्या में पुराने नेता, कोऑर्डिनेटर व पदाधिकारी सपा पहुंच चुके हैं।

राम अचल राजभर और लालजी वर्मा के निष्कासन के साथ बसपा स्थापना से लेकर संघर्ष की यात्रा से जुड़े अधिकतर प्रमुख नेता बसपा से बाहर हो चुके हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर जैसे पुराने नेता हैं भी तो कोई बड़ी भूमिका नजर नहीं आ रही है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद मुख्य सेक्टर प्रभारी तक की जिम्मेदारी लगातार बदलती रही है। बसपा के राज्यसभा सदस्य व राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा इकलौते नेता हैं जो मायावती के साथ मुख्य भूमिका में अब भी नजर आ रहे हैं। हालांकि पार्टी में उनकी एक्टिविटी चुनाव के आसपास ही ज्यादा नजर आती है। बाकी समय वह केंद्रीय राजनीति में ही पार्टी का प्रतिनिधित्व करते नजर आ रहे हैं।

रामअचल राजभर व लालजी वर्मा का निष्कासन इन नेताओं के लिए ही नहीं बसपा के लिए भी बड़ा झटका है। बसपा के सत्ता से बाहर होने के बाद भी स्वामी प्रसाद मौर्य, राम अचल राजभर व लालजी वर्मा की तिकड़ी पिछड़ी जातियों का मजबूत प्रतिनिधित्व करती थी। तीनों अपने अपने अपने समाज के साथ उनसे मिलती जुलती अन्य पिछड़ी जातियों में भी खासा असर रखते रहे हैं। सरकारें आती-जाती रही, ये चुनाव जीतते रहे हैं। करीब पांच वर्ष पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा छोड़ी और अब राम अचल राजभर और लालजी वर्मा निष्कासित कर दिए गए। बसपा को पिछड़े वर्गों में आधार बढ़ाने के लिए नए चेहरों को लाने की चुनौती है।

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पिछड़े समाज के दो बड़े नेताओं के निष्कासन के बाद बसपा में प्रदेश स्तर पर नई चेहरे तैयार करने की चुनौती है। बसपा ने भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राजभर समाज में नया चेहरा जरूर दिया, लेकिन वह रामअचल राजभर या अन्य दूसरे राजभर नेताओं की तरह अभी तक प्रदेश स्तर पर स्थापित नहीं हो पाए हैं। गुड्डू जमाली को विधानमंडल दल का नेता बनाकर मुस्लिम समाज में नया नेतृत्व उभारने की कोशिश की है। इसी तरह प्रदेश की राजनीति में कुर्मी व अन्य पिछड़े वर्गों को जोड़ने के लिए नए नेतृत्व को खड़ा करना होगा।

5 ब्लैक फंगस के 1376 मरीज

लखनऊ : प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गुरुवार को इनकी संख्या 1376 हो गई। ऐसे में ब्लैक फंगस नियंत्रण के लिए एसजीपीजीआई में बनी 12 सदस्यीय कोर कमेटी को सक्रिय कर दिया गया है। कमेटी को मेडिकल कॉलेजों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है। प्रदेश में कोरोना वायरस का असर लगातार कम हो रहा है। रिकवरी की दर करीब 97.4 फीसदी हो गई है, लेकिन अब ब्लैक फंगस ने चुनौती बढ़ा दी है। इसके मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम को सक्रिय रहने के लिए कहा है। मालूम हो कि एसजीपीजीआई में 12 सदस्यीय कमेटी बनी है। यह कमेटी सभी मेडिकल कॉलेजों को परामर्श दे रही है। एसजीपीजीआई में 40, केजीएमयू में 265, लोहिया संस्थान में 34 मरीजों का उपचार चल रहा है। इसी तरह अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी प्रतिदिन चार से पांच मरीज भर्ती हो रहे हैं।

बसपा से निष्कासित पार्टी विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा व राष्ट्रीय महासचिव राम अचल राजभर का कहना

लखनऊ : बसपा से निष्कासित पार्टी विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा व राष्ट्रीय महासचिव राम अचल राजभर का कहना है उन्हें निष्कासन की कोई जानकारी नहीं है। वह बहन जी से मिलकर गलतफहमी दूर करने का प्रयास करेंगे। वर्मा ने फोन पर कहा कि वह पिछले महीने बीमार थे तो बहनजी ने हालचाल लिया व ढाढ़स बंधाया। 12 मई को हॉस्पिटल से आए तो फिर फोन पर हाल लिया। उन्होंने बताया कि किसी ने गलतफहमी पैदा करने की कोशिश की है। मिलकर गलतफहमी दूर करने का प्रयास करेंगे। पार्टी के जिम्मेदार लोगों को स्थिति स्पष्ट की है और बहनजी से मिलने का प्रयास कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मैं न तो किसी पार्टी में जा रहा था न जा रहा हूं। 7-8 महीने अभी बसपा का विधायक हूं। बसपा के लिए काम करूंगा। भविष्य में चुनाव लड़ना है या नहीं यह आगे तय होगा।

पूर्व मंत्री राम अचल राजभर ने कहा कि कहा कि बसपा के मिशन व मूवमेंट में आस्था है। बहनजी के नेतृत्व में काम करते रहे हैं, करते रहेंगे। न तो वह किसी पार्टी में जा रहे थे और न ही जाएंगे। वह बसपा में थे, बसपा में हैं और बसपा में ही रहेंगे।  उन्होंने कहा कि किसी ने कोई गलतफहमी पैदा की होगी। इसके लिए उन्हें किसी से कोई गिला-शिकवा नहीं है। मुझे नहीं पता कि किस वजह से निष्कासित किया गया है। राम अचल ने कहा कि उन्हें बसपा को वोट देने और दिलाने से कोई नहीं रोक सकता।

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