आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों पर मना राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस
बच्चों को खिलवाई गई पेट से कीड़े निकालने वाली दवा
बहराइच। जनपद में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर जिले के एक से 19 साल के बच्चों व किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा खिलायी गयी । कार्यक्रम में जिला स्वास्थ्य समिति ,शिक्षा व महिला एवं बाल विकास विभाग का सहयोग रहा ।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश कुमार सिंह ने बताया कि भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार 1 से 19 साल के बच्चों में कृमि संक्रमण 76 प्रतिशत है । इसके निवारण के लिए कृमि मुक्ति कार्यक्रम का आयोजन वर्ष में दो बार किया जाता है । उन्होने बताया इस बार जनपद में 17 लाख से अधिक बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है ।
बच्चों को शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने से बचाने के लिए खिलाएं कीड़े मारने की दवा-बृजेश
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा । बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।इसी क्रम में पयागपुर स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी परिषदीय विद्यालय में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अधीक्षक सीएचसी पयागपुर डा0 विकास वर्मा, एबीएसए वीरेंद्र नाथ द्विवेदी व सीडीपीओ अनिल पाण्डेय ने संयुक्त रूप से किया । डा विकास वर्मा ने बताया कि पयागपुर विकास खंड में 01 से 19 वर्ष के 97700 बच्चों को कृमि मुक्ति के लिए दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है । इसके लिए सभी स्कूल जाने वाले बच्चों को अध्यापक के सहयोग से और स्कूल न जाने वाले बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 34667 बच्चों को दवा खिलाई गयी । शेष छूटे हुए बच्चों को मापअप राउंड 25 व 27 जुलाई को दवा खिलाई जाएगी । उन्होने बताया कि पेट में कीड़ा रहने से बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण बच्चे मानसिक तौर पर पूर्ण विकास नहीं कर पाते और कई रोगों से प्रभावित होते हैं ।
बीपीएम सीएचसी पयागपुर अनुपम शुक्ल ने बताया की क्षेत्र के 224 स्कूल व 187 आगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गयी । उन्होने बताया सभी बच्चों को प्रत्येक छह माह के अंतराल पर अल्बेंडाजोल की गोली चबाकर खाना है । इसके लिए एक से दो वर्ष के उम्र वाले बच्चे को आधा गोली चूर्ण बनाकर पानी के साथ चम्मच से बच्चों को खिलाना है जबकि दो वर्ष से 19 वर्ष के बच्चों को एक टेबलेट अपने सामने चबाकर खिलाना है। किसी भी हालत में बच्चों को घर ले जाने के लिए टैबलेट नहीं देना है।