New Ad

स्त्री-पुरुष के बनते बिगड़ते रिश्ते ‘पूर्ण पुरुष’ की मंच पर प्रस्तुति

0

देवता नहीं, मुझे ‘पूर्ण पुरुष’ चाहिए

प्रयागराज :  विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान (रंगमण्डल), प्रयागराज द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय ‘विविध रंग महोत्सव 2021’ के दूसरे दिन आज रविवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के प्रेक्षागृह में ‘विजय पण्डित’ लिखित गंभीर नाटक ‘पूर्ण पुरुष’, अजय मुखर्जी के निर्देशन में मंचित हुआ। नाटक पूर्ण पुरुष के माध्यम से विजय पण्डित ने बड़े ही रोचक ढंग से एक कलाकार के जीवन को अपनी लेखनी से जीवंत किया। समग्र पुरोहित अपनी तूलिका और रंगों से खेलते हुए नित्य नई सृष्टि की रचना करता है, और इस सृष्टि कर्ता को देवता स्वरूप मान कर शाश्वती उससे विवाह कर लेती है। कुछ ही वर्षों बाद वो उस देवता की एकरसता से ऊब जाती है और जिन्दगी को अपने तरह से जीना चाहती है, सांसारिक सुख भोगना चाहती है। उसे अतिरेक में एक पूर्ण पुरुष दिखता है जो उसे सबकुछ दे सकता है, और वो उसके साथ चली जाती है।

मंच पर अजय मुखर्जी, अपूर्वा गुप्ता, अक्षत अग्रवाल, गरिमा कुशवाहा आदि ने अपनी-अपनी भूमिकाओं को जीवंत किया। मंच परे प्रकाश संयोजन सुजाॅय घोषाल, संगीत संचालन शुभम वर्मा, निर्देशकीय सहयोग सौरभ शुक्ला, प्रस्तुतकर्ता आलोक रस्तोगी व संगीत परिकल्पना एवं निर्देशन रहा अजय मुखर्जी का। ‘विविध रंग महोत्सव 2021’ के तीसरे दिन ‘मुद्राराक्षस’ लिखित व ‘आतमजीत सिंह’ निर्देशित नौटंकी ‘आला अफसर’ विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान, प्रयागराज की प्रस्तुति होगी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.