सहारनपुर(सिटीजन वॉयस संवाददाता) : पार्षद मन्सूर बदर के नेतृत्व में पार्षदों के प्रतिनिधि मंडल ने मेयर और नगर आयुक्त से बाजार नखासा का नाम हज़रत शाह हारून चिश्ती के नाम पर आज़ाद कॉलोनी चन्द्रभान मार्ग का नाम मौलाना महमूद उल हसन(शेखुल हिन्द) के नाम पर और प्रताप नगर चौक का नाम डॉक्टर ए पी जे कलाम साहब के नाम पर कराने को कार्यकारणी समिति की मीटिंग में प्रस्ताव लाने के लिए मांग पत्र सौंपा। गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न हुई निगम कार्यकारिणी की एक बैठक में नवाब गंज चौक को बागेश्वर चौक और खुमरान पुल का नाम रामेश्वर सेतु बदल दिए गए थे जबकि नखासा बाज़ार का नाम बदलने का प्रस्ताव पास किया गया था।
नगर निगम की कार्यकारिणी समिति की मीटिंग से पहले आज पार्षद मन्सूर बदर के नेतृत्व में पार्षदों का एक दल मेयर और नगर आयुक्त से मिला और पार्षद मन्सूर बदर ने बताया कि नखासा बाजार का नाम महान सूफी संत हज़रत शाह हारून चिश्ती साहब के नाम पर पर रखा जाए मन्सूर ने बताया कि सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह बिन गयासुद्दीन तुगलक के दौरे ए सल्तनत 726 हिजरी के मुताबिक 1364 ईसवी में हज़रत शाह हारून चिश्ती ने सहारनपुर बसाया था इसलिए इस मार्ग का नाम उनके नाम पर रखा जाए साथ ही आज़ाद कॉलोनी में चन्द्रभान मार्ग का नाम शेखुल हिन्द मौलाना महमूद उल हसन साहब के नाम पर रखा जाए
मौलाना ने सारी उम्र हिंदुस्तान को आज़ाद करवाने में वक्फ कर दी 1915 में मौलाना ने रेशमी रुमाल की तहरीक का आगाज़ किया अग्रेजो ने मौलाना को रोम सागर के माल्टा टापू के जंगी कैदखानों में 4 सालों तक साथियों के साथ कैद कर लिया कैद से बाहर आने पर मौलाना ने हिंदुस्तान आकर अंग्रेज़ो के खिलाफ महात्मा ग़ांधी के साथ मिलकर आज़ादी की लड़ाई को नया आयाम दिया मौलाना ने ही अंग्रेज़ो के खिलाफ फतवा जारी किया मन्सूर बदर ने प्रताप नगर चौक की जगह चौक का नाम डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम साहब के नाम का प्रस्ताव दिया मन्सूर और सईद सिद्दीकी ,डॉक्टर अहसान और शाहिद क़ुरैशी ने बताया
कि कलाम साहब का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वर में हुआ व महान वैज्ञानिक और एरोनॉटिक इंजीनियर रहे पूरा विश्व उनको मिसाइल मैन और जनता का राष्ट्रपति के रूप में जानती है ,मन्सूर बदर ने बताया कि व एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्था के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान(इसरो) में अपनी सेवाएं देते रहे। बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रोधोगिक के विकास के रूप में उनको जाना जाता रहेगा। 1974 में भारत के पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद दूसरी बार 1998 मे पोखरण दितीय के परिक्षण में अपनों भूमिका निभाई वर्ष 2002 में भारत के 11 वे राष्ट्रपति बने।
पार्षद मन्सूर बदर ने मेयर और अधिकारियों से कहा कि उपरोक्त मार्गो का सौंदर्यकरण करने के साथ साथ इन महापुरुषों की जीवनी भी वहां लगाई जाए, जिससे आने वाली नस्लो को पता चल सके। पार्षदों में शहज़ाद मलिक, सईद सिद्दीकी, डॉक्टर अहसान, हाजी बहार अंसारी, शाहिद क़ुरैशी, नौशाद राजा, सलीम अंसारी, शकील, नसीम मौजूद रहे।