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प्रकाश सिंह बादल का निधन, राष्ट्रीय शोक का ऐलान, पीएम मोदी-राहुल गांधी ने जताया शोक

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मोहाली: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल ने मंगलवार (25 अप्रैल) को अंतिम सांस ली. उन्हें एक हफ्ते पहले मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में सांस लेने में परेशानी होने की शिकायत के बाद भर्ती कराया गया था. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि पूर्व सीएम बादल का रात करीब आठ बजे निधन हुआ.

  1. प्रकाश सिंह बादल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सहित कई नेताओं ने दुख जताया. बादल पांच बार (1970-71, 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-17 में) पंजाब के मुख्यमंत्री रहे.
  2. पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर केंद्र सरकार ने दो दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, राष्ट्रीय शोक के दौरान झंडा आधा झुका रहता है. प्रकाश सिंह बादल का अंतिम संस्कार गुरुवार (27 अप्रैल) को होगा.पार्टी सूत्रों ने बताया कि बुधवार (26 अप्रैल) की सुबह 10:00 से 12:00 तक प्रकाश सिंह बादल का मृत शरीर पार्टी ऑफिस चंडीगढ़ में सेक्टर 28 में लाया जाएगा. यहां पर लोगों को उनके दर्शन करवाए जाएंगे. इसके बाद उन्हें उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
  3. प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी ने कहा कि वो प्रकाश सिंह बादल के निधन से दुखी हैं. उन्होंने ट्वीट किया, प्रकाश सिंह बादल के निधन से अत्यंत दुखी हूं. वह भारतीय राजनीति के एक विशाल व्यक्तित्व और एक उल्लेखनीय राजनेता थे. उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया. उन्होंने पंजाब की प्रगति के लिए अथक प्रयास किया और महत्वपूर्ण समय के दौरान राज्य को नेतृत्व दिया. बादल के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने कई दशकों तक उनके साथ निकटता से बातचीत की है और उनसे बहुत कुछ सीखा है. उन्होंने कहा कि मुझे हमारी कई बातचीत याद है, जिसमें उनकी बुद्धिमत्ता हमेशा स्पष्ट रूप से झलकती थी. उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति संवेदना.
  4. राष्ट्रपतिद्रौपदी मुर्मू ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल आजादी के बाद से सबसे बड़े राजनीतिक दिग्गजों में से एक थे. हालांकि सार्वजनिक सेवा में उनका अनुकरणीय करियर काफी हद तक पंजाब तक ही सीमित था, लेकिन देश भर में उनका सम्मान किया जाता था. उनका निधन एक शून्य छोड़ देता है. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.
  5. राहुल गांधी ने कहा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष सरदार प्रकाश सिंह बादल के निधन का समाचार दुखद है. वो आजीवन भारत और पंजाब की राजनीति के एक कद्दावर नेता रहे. सुखबीर सिंह बादल समेत उनके सभी शोकाकुल परिजनों और समर्थकों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.
  6. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बादल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह माटी के लाल थे और हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे. सिंह ने कहा, श्री प्रकाश सिंह बादल जी एक कद्दावर राजनेता थे जिन्होंने कई दशकों तक पंजाब की राजनीति में महत्वपर्ण भूमिका निभाई. अपने लंबे राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन में, उन्होंने किसानों और हमारे समाज के अन्य कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कई उल्लेखनीय योगदान दिए.
  7. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल के निधन की बेहद दुखद जानकारी मिली. वाहेगुरू जी उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें. मेरी संवेदनाएं सुखबीर बादल जी एवं उनके पूरे परिवार के साथ हैं.
  8. पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्रीभगवंत मान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन का दुखद समाचार मिला. वाहेगुरु दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को दुख सहने की शक्ति दें. वाहेगुरु. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है. शाह ने कहा कि बादल का बेजोड़ राजनीतिक अनुभव सार्वजनिक जीवन में उनके लिए बहुत मददगार रहा और बादल को सुनना हमेशा सुखद रहता था.
  9. मलोट के पास अबुल खुराना में आठ दिसंबर, 1927 को जन्मे बादल ने लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक किया. उनकी राजनीतिक यात्रा उस वक्त शुरू हुई जब वे सरपंच बनें. इसके बाद वे ब्लॉक समिति के अध्यक्ष बनें.
  10. बादल 1957 में पहली बार उस वक्त विधायक बनें जब वे कांग्रेस सदस्य के रूप में मलोट निर्वाचन क्षेत्र से पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए. इसके बाद वह गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से मैदान में उतरे और वहां उन्हें 1969 के मध्यावधि चुनाव के दौरान अकाली दल के टिकट पर विधायक के रूप में चुना गया

 

 

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