रामकथा ही सर्वोपरि, जीवन के लक्ष्य प्राप्ति की देता है प्रेरणा :&https://www.youtube.com/channel/UCcj8JxdUrXPVdAxW-blFheA8212; गायत्री नंदन।
राम रामचरित मानस नवाह परायण ।
राजापाकड़/कुशीनगर : सत्संग के अभाव में मनुष्य विषय-वासना में फंसकर अपना जीवन बर्बाद कर लेता है। रामकथा मनुष्य को जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति करने की प्रेरणा देता है। उक्त उद्धबोधन तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत राजापाकड़ के शिवमंदिर परिसर में लगने वाले पारंपरिक महाशिवरात्रि मेला के निमित्त आयोजित नौ दिवसीय श्री रामचरित मानस नवाह परायण के छठवें दिन सोमवार की रात्रि अयोध्या धाम से पधारे कथावाचक गायत्री नंदन महराज ने श्रोताओं को धनुष भंग प्रसंग सुनाते हुए कही।
उन्होने कहा कि जनक ने सीता स्वयंवर में शिवधनु तोड़ने की शर्त रखी। लंकेश रावण व बाणासुर जैसे महायोद्धाओं धनुष को हिला भी न सके। जनक का विलाप देख विश्वामित्र ऋषि की आज्ञा से भगवान राम ने प्रत्यंचा चढ़ाकर भगवान शिव के धनुष को पलक झपकते खंड-खंड कर दिया। अपने गुरु शिव के धनुष के टूटने का अहसास पा ऋषि परशुराम स्वयंवर स्थल पहुंच कर रंग में भंग कर दिया। लक्ष्मण और परशुराम के बीच जबरदस्त संवाद हुआ। सातवें दिन मंगलवार को प्रातः यज्ञाचार्य पं. अमरनाथ मिश्र व पं. राहुल मिश्र के पूजन के बाद पं. राजकिशोर दास, हरिदास, सुभाष दास, जगरामदास, संजय व्यास, राजेंद्र प्रसाद ने श्रीराम चरित मानस नवाह के सातवें परायण का पाठ किया। दिन के सत्र कथावाचक पं. राजकिशोर दास ने राम विवाह प्रसंग का वर्णन किया। कथामंच का शुभारंभ समाजसेवी मृत्युंजय सिंह मोनू ने मानस ग्रंथ व कथावाचक का माल्यार्पण कर किया। इस दौरान संजय सिंह, रामप्रीत गोंड, अवधेश शर्मा, राज नारायण मिश्र, मुकेश यादव, पवन यादव, राजू यादव आदि मौजूद रहे।