लखनऊ : इममाबाड़ा जन्नतमाब तकी साहब चौक में मौलाना सैफ अब्बास ने आनलाइन मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि मौला अली की विलायत के बाद दीन ए इस्लाम मुकम्मल हुआ। हजरत मोहम्मद साहब ने आखिरी हज की वापसी में अल्लाह के हुक्म पर अमल करते हुए इमाम अली अलेहिस्सलाम को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। कयामत तक दीन और कुरान की हिफाजत अल्लाह का वादा है। इसलिए अल्लाह ने रसूल से इमाम अली की विलायत का एलान कराया ताकि इमाम की औलादे अल्लाह के दीन और उसकी किताब की कयामत तक हिफाजत कर सकें। मौलाना ने जनाबे मुस्लिम के बच्चों की शहादत का दर्दनाक मंजर बयां कि तो अजादारों केे रोने की सदाएं बुलंद हो गयी।
इमामबाड़ा गुफरामाआब चौक में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने कहा कि जो भी इंसान मोहर्रम की मुबारकबाद दे वो यजीदी है। क्योंकि मोहर्रम रसूल अल्लाह के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम आैर उनके साथियों की औलादों की कुर्बानी का महीना है। कुछ लोग हमारी अजादारी आैर रोने पर सवाल खड़े करते हैं लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि रसूले खुदा ने भी जनाबे हमजा की वफात पर आंसू बहाए थे। आज कर्बला में इमाम की शहादत के करीब 14 सौ साल बीत जाने बाद भी शिया रसूल और आले रसूल की शहादत का गम मना रहे। उन्होंने कहा कि हर नेकी का दूसरा नाम हुसैन है। हर बुराई का दूसरा नाम यजीद है। मौलाना ने जनाबे जौन की शहादत बयां की। जिसे सुनकर गमजदा अजादारों के रोने की सदाएं बुलंद हो उठी। अजादारों ने नम आंखों से इमाम को पुरसा पेश किया।
मदरसा-ए-नाजमिया विक्टोरिया स्ट्रीट में आनलाइन मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना हमीदुल हसन ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में सरकार की गाइडलाइन पर अमल कर पाबंदियों के बीच शिया समुदाय कर्बला के शहीदों का गम मना रहे हैं। ताकि वह लोग जो इस्लाम के खिलाफ साजिश कर रहे हैं न सिर्फ उनको बल्कि पूरी दुनिया यह बता सकें कि सच्चा इस्लाम क्या है। वह इस्लाम जिसको बचाने के लिए आले रसूल ने अपनी कुर्बानी दी। आज लोग इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ रहे हैं लेकिन इस्लाम व कुरान में किसी भी इंसान पर जल्म-ओ-सितम करने की इजाजत नहीं है। सही इस्लाम को समझने के लिए कुरान और अहलेबैत दोनों को मजबूती से थामे रहना होगा।
इमामबाड़ा आगा बाकिर चौक में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना मीसम जैदी ने कहा कि अल्लाह ने कुरान को जिब्राईल के वसीले से नाजिल किया। इसपर सभी मुसलमानों का यकीन है। उन्होंने शियों पर तरह तरह के इल्जाम लगाने वालों को जवाब देते हुए कहा कि कुछ लोग हम पर सवाल उठाते हैं कि हम रसूल अल्लाह को कम मानते हैं। नमाज नहीं पढ़ते। अगर शिया नमाज नहीं पढ़ते तो जालिम उनको मस्जिद में कत्ल नहीं करते। जबकि इल्जाम लगाने वाले खुद रसूल के अजदाद को मुसलमान नहीं मानते। सच यह है कि शिया रसूल अल्लाह को मदीनातुल इल्म मानते हैं। शिया रसूल और आले रसूल दोनों को मानते हैं। रसूल के इस दुनिया से चले जाने के बाद उनके नवासे ने इस्लाम को बचाने लिए कर्बला में अपना भरा पूरा परिवार कुर्बान कर दिया था। ताकि इस्लाम और इंसानियत दोनों बाकी रहे।