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पांचवें राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर हुई गोष्ठी

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हरदोई।कायाकल्पकेन्द्रम् में पांचवें राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर हुई गोष्ठी में वक्ताओं ने प्राकृतिक चिकित्सा के महत्त्व को रेखांकित किया। कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ० राजेश मिश्र ने कहा क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित अति अधम शरीरा। कहा जिन तत्वों से शरीर बना है, वे ही उपचार के साधन हैं। क्षिति जल पावक गगन हवा, सब रोगों की यही दवा।
डॉक्टर मिश्र ने कहा कि वे आज प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मना रहे हैं। हर रोज कोई न कोई दिवस है। उन्होंने कहा कि उनकी भावना स्वास्थ्य रक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करने में है। उनके भीतर चिकित्सक के बजाय शिक्षक बैठा हुआ है, जो लोगों को स्वस्थ रहने की विधि बताकर रोगों से बचाना चाहता है। कहा मृत्यु शतप्रतिशत होकर रहेगी। प्राकृतिक चिकित्सा से स्वस्थ दीर्घ जीवन हो सकता है। डॉक्टर मिश्र ने कहा कि हर व्यक्ति बीमारी में कहता है कि कौन चीज खाऊं जिससे ठीक हो जाऊं। उन्होंने कहा अब यह कहना होगा कि कौन सी चीज छोड़ दूं जो ठीक हो जाऊं। खाने के बजाय छोड़ने पर अधिक जोर देना होगा। श्री ओम पाण्डेय ने कहा कि कायाकल्पकेन्द्रम् में जो भी रोगी आया, वह निरोगी होकर गया। कहा डॉक्टर मिश्र अपनी जन्मभूमि पर रहकर उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। अभियोजन अधिकारी पद्मनाभम् स्वामी ने कहा कि चार वर्ष से वे डॉक्टर मिश्र से जुड़े हुए हैं और प्राकृतिक जीवन जी रहे हैं। उन्होंने कहा सभी को प्राकृतिक जीवनशैली अपनानी चाहिए। एक दर्जन से अधिक लोगों की निःशुल्क चिकित्सा की गयी और अन्य लोगों को चिकित्सा परामर्श दिया गया। प्रोफेसर अखिलेश वाजपेयी ने अपने संदेश में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को विश्व की सर्वाधिक प्राचीन चिकित्सा पद्धति बताया। डीआईओएस वी के दुवे ने शुभकामनाओं का संदेश प्रेषित किया।
डॉ श्रुति दिलीरे, डॉ नीतू गुप्ता, डॉ अभिषेक पांडे, डॉ वीरेश शुक्ल, दीपाली, अनामिका, गोविंद गुप्ता, सोनू गुप्ता, यज्ञ मिश्र, मनोज मिश्र, रिंकी गुप्ता, प्रज्ञा मिश्रा सहित कई लोग उपस्थित रहे।

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