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नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच फासले कम

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पंजाब : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पूरी कोशिश में हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच फासले कम हों, और मिलकर काम करने की स्थिति बने और दोनों का ही आत्म सम्मान बरकरार रहे। इसके लिए प्रियंका ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी तैयार कर लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मंगलवार को कैप्टन की मुलाकात से पहले वह दोबारा मिलीं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू चाहे जितना विरोधी तेवर अपना लें, उन्हें काम मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नीचे ही करना पड़ेगा। हां, इस पूरी कवायद में कांग्रेस पार्टी अपने नेता का पूरा मान रखेगी।

कैप्टन ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की। उनके सामने अपना पक्ष रखा। दस जनपथ के करीबी सूत्रों की मानें तो कैप्टन इस बार अपना पक्ष लेकर पूरी मजबूती के साथ गए थे। उन्होंने अपना पक्ष रखने के बाद सब कुछ कांग्रेस अध्यक्ष पर छोड़ दिया है। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कैप्टन ने भी यही कहा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष जो भी फैसला लेंगी, उन्हें मंजूर होगा। कैप्टन ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के साथ पार्टी के आंतरिक मामलों और पंजाब के विकास के मुद्दे पर चर्चा की है। कैप्टन ने कहा कि वह आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। रहा सवाल पार्टी के आंतरिक मामलों का तो कांग्रेस अध्यक्ष जो भी निर्णय लेंगी, वह उसके लिए भी तैयार हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर पूछे गए सवाल पर कैप्टन ने कहा कि वह कुछ नहीं जानते।

कांग्रेस मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार दो स्थितियां बिल्कुल साफ हैं। कांग्रेस 2022 का विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में ही लड़ने के मूड में है, लेकिन उसके साथ-साथ वह नवजोत सिंह सिद्धू का भी पूरा मान रखेगी। पार्टी के एक महासचिव ने कहा कि जितना जरूरी पंजाब में सत्ता में वापस आना है, उतना ही जरूरी भविष्य के पार्टी के नेताओं को सहेजना भी है। इसलिए नवजोत सिंह सिद्धू का ख्याल रखा जाएगा। इस बारे में पंजाब के प्रभारी हरीश रावत से बात नहीं हो पाई, लेकिन एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि पंजाब में कुछ बड़े बदलाव संभव हैं। नवजोत सिंह सिद्धू की अहमियत बन सकती है। समझा जा रहा है कि इस पूरे विवाद में पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ की जिम्मेदारी बदल सकती है। जाखड़ के स्थान पर नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन हो सकता है।

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