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बेंगलुरु में मंगलवार को विपक्षी दलों की दूसरी बड़ी बैठक हुई। इसमें कई अहम फैसले लिए गए

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बेंगलुरु में मंगलवार को विपक्षी दलों की दूसरी बड़ी बैठक हुई। इसमें कई अहम फैसले लिए गए, लेकिन बैठक के बाद जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के CM नीतीश कुमार, डिप्टी CM तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नहीं दिखे।

इस पर बीजेपी नेताओं ने सवाल खड़े किए। पूर्व सीएम सुशील मोदी और केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने ट्वीट करके नीतीश के नाराज होने की बात कही। इसके बाद बिहार की राजनीति और मीडिया में कई सवाल उठने लगे हैं। इसमें सबसे अहम ये है कि क्या विपक्षी एकता के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव नाराज हो गए हैं?

पहले पढ़िए नीतीश ने क्या कहा

हालांकि, इस पर बुधवार को नालंदा के राजगीर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी बता रखी। उन्होंने कहा, हम किसी बात से नाराज नहीं हैं, भाजपा का उस बैठक से क्या लेना-देना…बैठक में सब बात हुई है, सबके सुझाव आए, उसके बाद ही कुछ घोषित किया गया। उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली थी तब हमने कहा कि हमें अब जाने दीजिए…जब सही समय आएगा तब इसकी भी संभावना है कि कुछ और लोग भी शामिल होंगे

बेंगलुरु में अनेक पार्टियों की बैठक हुई। वहां सब बात कह ही दिए और सभी बातें मान भी लिया गया। इसके बाद चले आए। आज कह रहा है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं थे। मेरी इच्छा राजगीर की हो रही थी। इसलिए हम वहां से आ गए। संयोजक नहीं बनाए जाने पर नाराजगी के सवाल पर कहा कि मेरी कोई चॉइस नहीं है।

संयोजक के नाम पर सहमति नहीं बनी

23 जून को पटना में विपक्षी एकता की पहली बैठक हुई थी। इसमें तय किया गया था कि अगली बैठक कांग्रेस के नेतृत्व में होगी। इसमें गठबंधन का नाम, संयोजक और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के साथ सीट बंटवारे के फॉर्मूले की घोषणा की जाएगी, लेकिन बेंगलुरु मे हुई बैठक में सिर्फ गठबंधन के नाम की घोषणा की गई।

न तो संयोजक के नाम पर सहमति बन पाई और न ही सीट फॉर्मूले पर कोई बात बनी। इसके लिए अब अगली बैठक मुंबई में होगी। चर्चा इस बात की भी है कि नीतीश को ये रास नहीं आया। वहीं, कई मीडिया चैनलों का ये भी मानना है कि नीतीश को महागठबंधन का नाम INDIA रखना सही नहीं लगा।

RJD ने पहले INDIA के नाम का पोस्ट किया फिर डिलीट किया

RJD के ट्विटर अकाउंट से पहले महागठबंधन के नए नाम की घोषणा की गई। इसमें लिखा गया कि अब भाजपा को INDIA कहने में भी दिक्कत होगी। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से थोड़ी देर पहले इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया। इसके बाद RJD के नेता बयान देने से बच रहे हैं। हालांकि, बुधवार को फिर से आरजेडी और जेडीयू ने ट्वीट करके INDIA का समर्थन किया।

अंदर की खबर- संयोजक के पद पर हुई खूब माथापच्ची, नहीं बन पाई सहमति

वहीं बैठक में शामिल एक नेता की मानें तो संयोजक के पद के लिए मीटिंग में खूब माथापच्ची हुई। इसके लिए दो नामों की चर्चा तेज थी। पहला अरविंद केजरीवाल और दूसरा नीतीश कुमार।

इस पर सहमति नहीं बनी, तो चार संयोजक बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया, जो देश के चार कोने से होंगे, लेकिन छोटे दलों ने इस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संयोजक के चयन के लिए 11 सदस्यीय जॉइंट कमेटी का गठन कर दिया गया।

इससे भी बढ़ी बिहार के नेताओं की टेंशन…

1. पोस्टर में ड्राइविंग सीट से बैक सीट पर पहुंचे नीतीश

महागठबंधन की चर्चा के शुरुआत से ही नीतीश कुमार इसकी ड्राइविंग सीट पर रहे हैं। विपक्षी एकता की सबसे पहली पहल उन्होंने ही की। कांग्रेस के बड़े नेताओं से लेकर पांच स्टेट में विपक्षी नेताओं से से वन टु वन मीटिंग की। सभी क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए मनाया।

पटना में हुई पहली बैठक में नीतीश कुमार पोस्टर बॉय थे। वे हर पोस्टर के सेंटर में थे, लेकिन बेंगलुरु की बैठक में कांग्रेस की तरफ से जारी पोस्टर में नीतीश को तरजीह कम दी गई। साथ ही नीतीश की जगह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को दी गई।

बेंगलुरु में नीतीश कुमार पोस्टर के सबसे आखिरी कतार में पहुंच गए। चर्चा इस बात की भी है कि बिहार के मुख्यमंत्री को कांग्रेस का यह अंदाज रास नहीं आया।

2. कर्नाटक में नीतीश कुमार के खिलाफ पोस्टर लगाए गए

बैठक से पहले CM नीतीश कुमार के खिलाफ पोस्टर लगाए गए थे। पोस्टर में उन्हें अनस्टेबल प्राइमिनिस्ट्रियल कंटेंडर, यानी प्रधानमंत्री पद का अस्थिर दावेदार बताया गया था। साथ ही सुल्तानगंज ब्रिज गिरने को लेकर भी पोस्टर लगाए गए। जिसमें लिखा-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्वागत। सुल्तानगंज ब्रिज- नीतीश कुमार का बिहार को तोहफा, जो गिरता रहता है।

जबकि दूसरे पोस्टर में सुल्तानगंज ​​​​​​ब्रिज कब-कब गिरा इसका जिक्र है। हालांकि, बेंगलुरु पुलिस ने ये पोस्टर हटा दिए हैं, लेकिन तब तक देशभर की मीडिया में यह खबर आ चुकी थी। बाद में कर्नाटक के डिप्टी CM डी शिवकुमार ने इसे भाजपा नेताओं का दुष्प्रचार बताया।

अब समझिए बिहार की राजनीति में इसका असर

तेजस्वी को CM बनाने की लालू की मुहिम को झटका लगेगा

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नीतीश कुमार को केंद्र की राजनीति में आगे कर अपने बेटे तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। जब नीतीश ने एक बार घोषणा कर दी थी कि अब सब कुछ तेजस्वी ही देखेंगे।

2025 का चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। जब से नीतीश कुमार NDA से पाला बदल कर महागठबंधन का हिस्सा बने हैं तब से लालू यादव इस मुहिम में जुटे हैं। वे खुद इस मुहिम में शामिल हो रहे हैं।

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से वे लगातार नेताओं से मिल रहे हैं। विपक्षी दलों की दोनों बैठक में शामिल हुए। RJD को लगने लगा था कि अगर नीतीश संयोजक बन जाते हैं तो तेजस्वी बिहार की कमान संभाल लेंगे। ऐसे में बात बिगड़ती है तो लालू प्रसाद यादव के मुहिम को बड़ा झटका लगेगा। तेजस्वी यादव को CM बनने के लिए 2025 तक इंतजार करना होगा।

अगर नीतीश साथ नहीं होंगे तो फिर RJD का रुख कांग्रेस को लेकर क्या होगा। बिहार में कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। इसका सीधा फायदा NDA को होगा।

सूत्रधार के गठबंधन से हटने का लाभ भाजपा को मिलेगा

वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि नीतीश और लालू का नाराज होना केंद्र के खिलाफ बन रहे गठबंधन के लिए अच्छे संकेत नहीं है। इसका असर बिहार में गठबंधन सरकार पर भी पड़ेगा। ये दोनों हो वे शख्स हैं जब गठबंधन का कहीं कोई जिक्र नहीं था तब उन्होंने ही इसका जिक्र किया था।

इन्होंने न केवल इसका स्वरूप तैयार किया बल्कि एक छाते के नीचे देशभर के क्षेत्रीय पार्टियों को लाया। अगर सूत्रधार ही हट जाएंगे तो इसका देश के मतदाता और पार्टियों के बीच गलत संदेश जाएगा।

इसका सीधा फायदा NDA गठबंधन और नरेंद्र मोदी को मिलेगा। बिहार में कांग्रेस सरकार से भी बाहर हो सकती है और लोकसभा का मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा।

 

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