लखनऊ : अल्लाह की इबादत और दुआओं के इस रमज़ान पाक महीने का तीसरा अशरा जुमे की नमाज़ के साथ शुरू होगा इससे पहले गुरुवार को इबादत के साथ घरों में मजलिस का आयोजन किया गया कोरोना वायरस की महामारी को रोकने और प्रशासन की अपील के बाद शुक्रवार को 21वीं रमज़ान पर पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के दामाद वा शियो के पहले इमाम अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत की याद में निकलने वाला जुलूस नही निकलेगा
ये है इतिहास
150 सान पुराना जुलूस रूस्तम नगर स्थित रौजा-ए- ‘शबीह नजफ” से वारिसाने ताबूते हजरत अली अलैहिस्सलाम कमेटी द्वारा निकाला जाता था और कर्बला तालकटोरा जाकर दफन किया जाता था। वारिसाने ताबूते हजरत अली अलैहिस्सलाम कमेटी के महासचिव सैयद मुख्तार हुसैन ने बताया कि यह जुलूस 150 वर्ष पूर्व यानि 21वीं रमजान 1870 में हसन मिर्जा ने मौलवीगंज स्थित रस्सी बटान से निकालना शुरू किया था। सन 1873 से उन्होंने उक्त ताबूत को रूस्तम नगर से उठाना शुरू किया। जब से हसन मिर्जा के घराने के लोग लाखों अकीदतमंदो के साथ ताबूत उठाने का कार्य अंजाम दे रहे हैं। सैयद जफर हुसैन ने सभी से सरकारी फरमान को जेहन में रखकर लाॅकडाउन की पाबंदियों को अपनाने की अपील की। वहीं ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि जुमे की नमाज भी पहले की भांति घरों में अदा करें। उन्होंने ईद और अलविदा की नमाज भी घरों में पढ़ने की अपील की।
ईद व अलविदा की नमाज घर पर ही पढे़ं
शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि संक्रमण के इस मौके पर घरों में इबादत के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। ऐसे में शांति से घरों में मातम और इबादत कर अल्लाह से कोरोना से मुक्ति की दुआ करें। इदारा- ए-शरइया फरंगी महल के अध्यक्ष व काजी-ए-शहर मौलाना मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली ने कहाकि इतिकाफ में 21-23 -25- 27 रातें शबे कद्र भी हो सकती हैं। काज़ी-ए-शहर ने आवाम से अपील की है कि जिस तरह पांच वक्त की नमाज़, तरावीह की नमाज ,जुम्मे की नमाज़ ,आपने घर पर ही अदा करी है, उसी तरह लॉकडाउन की हिदायतों का पालन करते हुए शारीरिक दूरी का ख्याल रखें। पांच से अधिक लोग मस्जिद में न रहें। नमाज़, दुआ और इबादत के साथ ही मुल्क की तरक्की की दुआ जरूर करें।