लखनऊ : कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 25 मार्च से पूरे देश मे सम्पूर्ण लाक डाउन का एलान किया गया तो देशवासियो के कारोबार पूरी तरह से बन्द हो गए लेकिन लाक डाउन की अवधि मे सब्ज़ी और फल बेचने वालो पर कोई पाबन्दी नही लगाई गई जिसका लाभ उन लोगो को मिला जो ई रिक्शा चला कर ज़रदोज़ी का काम करके या मेहनत मज़दूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे । सब्ज़ी और फल के कारोबार से ऐसे गरीब लोग भी जुड़ गए और लाक डाउन की अवधि मे गली मोहल्लो मे सब्ज़ी और फल के ठेलों की संख्या इतनी ज़्यादा बढ़ गई कि खरीददार कम पड़ गए। लाक डाउन की अवधि मे वो लोग तो फल और सब्ज़ी के कारोबार से जुड़े ही थे जो पहले इस कारोबार से जुड़े थे लेकिन लाक डाउन मे बेरोज़गार हुए हज़ारो ई रिक्शा चालक हज़ारो ज़रदोज़ी कारीगर और हज़ारो मज़दूर भी इस काम से जुड़ गए। जिसका नतीजा ये हुआ की सब्ज़ी और फल के कारोबार मे न तो मुनाफा खोरी देखी गई और न ही सब्ज़ी और फलो के लिए किसी को कोई परेशानी हुई ।
सब्ज़ी और फल के कारोबार से जुड़े हज़ारो नए लोगो के परिवार भी चलते रहे और देशवासियो को सब्ज़ी और फल के लिए परेशान भी नही होना पड़ा। आपको बता दे कि अकेले लखनऊ शहर मे ही 15 हज़ार से ज़्यादा परिवार ई रिक्शा संचालन पर निर्भर थे इससे ज़्याद परिवार ज़रदोज़ी के काम पर निर्भर थे और करीब इतने ही परिवार मेहनत मज़दूरी पर निर्भर थे लेकिन लाक डाउन ने ई रिक्शा , ज़रदोज़ी और मज़दूरी के काम को पूरी तरह से बन्द कर दिया था ऐसे हालात मे अगर इन कार्यो से जुड़े हज़ारो लोग सब्ज़ी और फल के काम से न जुड़ते तो शायद इन हज़ारो परिवारो के सामने भुखमरी की नौबत आ जाती लेकिन भला हो सरकार का कि सरकार ने सब्ज़ी और फल के काम को आवश्यक वस्तुओ की श्रेणी मे रखते हुए इस काम पर रोक नही लगाई