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फसलों के फसल अवशेष न जलाये जाने के लिए ग्रामवासियों को जागरूक करें ग्राम प्रधान ग्राम प्रधानों को पत्र भेजकर डीएम ने की अपील

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बहराइच : जिलाधिकारी मोनिका रानी ने जनपद के समस्त ग्राम प्रधानों को पत्र भेज कर ग्राम पंचायत में फसल अवशेष व पराली जलाने की घटना पर प्रभावी अंकुश हेतु ग्रामवासियों को जागरूक करने की अपील की है।

डीएम ने अपने पत्र में कहा है कि मा. सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा रिट पिटीशन संख्या 13029/1985 एम.सी. मेहता बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया एवं अन्य में 30 जुलाई 2020 को पारित आदेश के अनुपालन में शासन द्वारा फसल कटाई सत्र से पूर्व ग्राम पंचायतों तथा ग्राम प्रधानों को भी पराली जलाये जाने की रोकथाम हेतु जागरूक किये जाने तथा पराली जलाये जाने की घटना प्रकाश में आने पर उनका उत्तरदायित्व भी निर्धारित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

पत्र के माध्यम से ग्राम प्रधानों को निर्देशित किया गया है कि वर्तमान खरीफ सत्र में बोई गई धान/गन्ना फसलों की कटाई के पूर्व ही यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी ग्राम पंचायत के विभिन्न राजस्व ग्रामो में इन फसलों के फसल अवशेष न जलाये जाएं।

पराली तथा फसल अवशेष जलाने की घटना पर प्रभावी अंकुश के लिए ग्राम प्रधानों से कहा गया है कि ग्राम पंचायत के किसी उपर्युक्त स्थल पर फसल अवशेष जलाये जाने के अपराध में सम्बन्धित व्यक्ति के विरूद्ध क्षतिपूर्ति की वसूली कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने के प्राविधानों का विवरण अंकित करा दिया जाये ताकि ग्राम पंचायत के सभी सदस्य विधिक प्राविधानों से अवगत हो सकंे।

ग्राम प्रधानों को निर्देशित किया गया है खेत में फसल अवशेष जलाये जाने हेतु राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा 24 एवं 26 के अन्तर्गत 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये रू. 2500.00, 02 से 05 एकड़ के लिये रू. 5000.00, 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिये रू. 15000.00 तथा अपराध की पुनरावृत्ति करने पर कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का प्राविधानों का अंकन करा दिया जाय।

डीएम ने ग्राम प्रधानों से कहा है कि आप आधारभूत जनप्रतिनिधि होने के नाते अपनी ग्राम पंचायत के सभी राजस्व ग्रामों के ग्राम पंचायत सदस्यो की साधारण बैठक आहूत करेंगे। जिसमें ग्राम पंचायत के जन साधारण को फसल अवशेषों के न जलाये जाने हेतु जागरूक करें तथा फसल अवशेष जलाये जाने से भूमि पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी देते हुये

जनसाधारण को यह भी अवगत कराया जाय कि यदि उनके द्वारा इस तरह का आपराधिक कृत्य किया जाता है तो सम्बन्धित के विरूद्ध क्षतिपूर्ति की वसूली, कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया जायेगा। डीएम ने कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक एवं गन्ना विभाग के गन्ना पर्यवेक्षक, राजस्व विभाग के लेखपाल व पंचायती राज विभाग के ग्राम पंचायत अधिकारियों को निर्देश दिया है कि ग्राम पंचायत सदस्यों की बैठक में उपस्थित रहकर सभी सदस्यों को पराली जलाये जाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण, खेतों की उर्वरा शक्ति पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे।
डीएम ने कहा कि इतने प्रयास किये जाने के बावजूद यदि ग्राम पंचायत के किसी व्यक्ति द्वारा फसल अवशेष को जलाया जाता है तो ग्राम प्रधानों का उत्तरदायित्व होगा कि सम्बन्धित राजस्व लेखपाल को सम्बन्धित व्यक्ति के विरूद्ध लिखित में अवगत कराएंगे। जबकि राजस्व लेखपाल सम्बन्धित थाने में अपराधकारित करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध प्राथमिकी अंकित करायें तथा क्षतिपूर्ति की वसूली हेतु अपने स्तर से सम्बन्धित उपजिलाधिकारी को लिखित में सूचित करें। डीएम ने स्पष्ट किया कि यदि फसल अवशेष जलाये जाने की घटना होने पर ग्राम प्रधान द्वारा घटना को छिपाया जाता है अथवा उच्चाधिकारियों को अवगत कराने में शिथिलता अपनाई जाती है तो यह अवधारित किया जायेगा कि फसल अवशेष जलाये जाने का अपराध करने वाले व्यक्ति के साथ सम्बन्धित ग्राम प्रधान की दुरभि संधि व संलिप्तता है। ऐसी स्थिति में बाध्य होकर सम्बन्धित ग्राम प्रधान का भी उत्तरदायित्व निर्धारित कर उक्त कारित अपराध में सह अभियुक्त बनाते हुए दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।
डीएम ने कहा कि उन्हें आशा है कि आधारभूत जनप्रतिनिधि होने के फलस्वरूप पराली एवं फसल अवशेष जलाये जाने सम्बन्धी आपराधिक कृत्य को रोकने हेतु माननीय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एन.जी.टी.) द्वारा निर्धारित की गयी प्रक्रिया में अपना आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। डीएम ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ग्राम प्रधानगण द्वारा इस दिशा में किये जाने वाले सार्थक प्रयास फलीभूत होंगे तथा हम और आप इस अपराध का विरोध करने में सफल होगें।

 

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