सांडा (सीतापुर) यूं तो मानकों को ताक पर रखकर कार्य करना कोई नई बात नहीं है। यह तो आम बात से होती हुई नजर आ रही है क्योंकि मानक कुछ और हैं और कार्य किसी और तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। यह बखूबी देखने को मिल रहा है। उसके बावजूद भी संबंधित विभागीय अधिकारियों की जेब में क्या पैसा पहुंच गया है। जिसके चलते वह कोई भी कार्य मानक विपरीत हो रहा है। उसके बावजूद भी वह उस पर कोई संज्ञान नहीं ले रहे जो कहा जा सकता है कि अवैध रूप से जानबूझकर हो रहा खनन है।
उसके बावजूद भी इस मामले पर पर्दा डाला जा रहा है और इस कार्य में उच्च स्तर तक के खनन विभाग के अधिकारी तक शामिल है ऐसा प्रतीत हो रहा है। बताते चलें कि मामला प्रकाश में आया है थाना सकरन मैं जो मानकों को ताक पर रखकर कार्य कर रहा है और उसके बाद मिट्टी व बालू के खनन करने में जिस तरीके से मानक हैं उस तरीके से कार्य न करके अवैध तरीके से कार्य किया जा रहा है।
जिसको अवैध खनन की श्रेणी में कहा जा सकता है और अवैध खनन अगर किया जा रहा है तो उस पर कार्रवाई होना लाजमी बात है। लेकिन उसके बावजूद भी सभी के सामने मामला दिख रहा है। यही मामला थाना सकरन के कुर्मिनपुरवा गांव का है। सकरन थाना क्षेत्र में रात के अंधेरे में धरती का सीना चीर कर खुलेआम किया जा रहा है अवैध बालू खनन विभागीय जिम्मेदार अनजान बने हुये है ग्रामीणों ने उप जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर अवैध खनन बन्द करवाये जाने की मांग की है।
सकरन थाना क्षेत्र के हल्का नम्बर चार में विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से रात के अन्धेरे में अवैध बालू खनन खुलेआम किया जा रहा है क्षेत्र के गडौसा, लोंहजरा, इटौवा सुन्दरपुरवा, कुर्मिनपुरवा, लखुआबेहड, मुन्नूपुरवा, सुमरावा, केवटाना हरदोपट्टी आदि समेत करीब एक दर्जन से ऊपर जगहों पर कृषि योग्य जमीन व चैका नदी से प्रति दिन दर्जनों ट्राली बालू खनन करके निकाली जा रही है। जिससे चैका नदी का अस्तित्व खतरे में पहुंच गया है तथा कृषि योग्य जमीन बंजर हो रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह अवैध बालू खनन हल्के के दरोगा, सिपाही व राजस्व कर्मियों की संलिप्तता से किया जा रहा है। ग्रामीणों विजय, हरिहर, ललित, माधव, रोहित आदि ने इस सम्बन्ध में उपजिलाधिकारी लहरपुर को एक शिकायती पत्र देकर क्षेत्र में हो रहे अवैध बालू खनन को बन्द करवाये जाने की मांग की है।