उन्नाव : हर बार गेहूं बुवाई के समय खाद की कमी हो जाती है, इस बार भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है।जब गेहूं की बुवाई प्रारंभ हो चुकी है तो डीएपी खाद पाने के लिए किसान दौड़ भाग कर रहा है, डीएपी खाद पाने के लिए किसान बाजारों के चक्कर लगा रहा है। जहां से उसे बुवाई के लिए खाद पाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है बावजूद अधिकांश स्थानों पर खाद नहीं है कह कर उसे दौड़ाया जाता है तो जहां पर है वहां पर खुलेआम कालाबाजारी कर किसानों का शोषण हो रहा है।योगी सरकार में खाद की कालाबाजारी न हो इसको लेकर प्रशासन काफी सतर्क है फिर भी कालाबाजारी करने वाले लोग मान नहीं रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक वैसे चारों तरफ डीएपी को लेकर मारामारी मची हुई है, महंगाई के काल में किसान पहले से ही काफी परेशान है वहीं दूसरे गेहूं बुवाई के समय डीएपी खाद का अभाव कोढ पर खाज का काम कर रहा है। क्षेत्र में जहां पर खाद है वहां खुलेआम कालाबाजी चल रही है। जब हमारे संवाददाता ने असोहा ब्लाक क्षेत्र के इफको की दुकान सहरावां स्थित बाजार पर जाकर भीड़ को देखा और किसानों से खाद के संबंध में जानकारी ली तो किसानों ने बताया कि किसी को 10 बोरी तो किसी को एक बोरी दी जा रही है। इस संबंध में कई किसानों के बयान दर्ज किए गए जिसमें रोशन रावत उमेद खेड़ा ने बताया कि उन्हें 1210 रूपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद मिली है,वहीं पर यही बात नरसिंहपुर निवासी राम कुमार गौतम ने बताया कि सहरावां मजरे बेगम खेड़ा के किसानों ने भी 1210 रुपए के हिसाब से डीएपी खाद दी गई है।
संवाददाता द्वारा पूछने पर उसने किसी भी बिल वाउचर मिलने से साफ इनकार किया, दुकान पर ना तो रेट बोर्ड लिखा मिला। नॉन स्टॉप किसानों ने आरोप में कहा कि महंगी खाद के साथ साथ छोटे जरूरतमंद किसानों को खाद न देकर प्रभावशाली लोगों के ट्रैक्टर में खाद बेची जा रही है। सरकार किसी की भी हो लेकिन कालाबाजारी करने वाले चूकते नहीं है। किसान सपा नेता सुनील ने चुटकी लेते हुए कहा कि भाजपा सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है वहीं पर खुलेआम सरकारी दुकानों से किसानों का शोषण कर खाद ऊंचे रेट पर बेची जा रही है।किसान पहले से पिसान है अब खाद की भी मारामारी मची हुई है फिर भी अधिकारी पूरी तरह से मूकदर्शक बने हुए देख रहे हैं।