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ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट पर डॉ. गुलेरिया की सफाई

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दिल्ली : अप्रैल और मई के महीने में जब कोरोना की दूसरी लहर अपनी चरम पर थी तब राजधानी समेत पूरे देश में ऑक्सीजन की मांग अचानक से बढ़ गई थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की रिपोर्ट शुक्रवार को सुर्खियों में आई जिसमें ये कहा गया कि दिल्ली सरकार ने अपनी जरूरत के हिसाब से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड की जिसके चलते 12 अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की किल्लत झेलनी पड़ी। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भाजपा और कांग्रेस ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया। लेकिन आज इस मामले पर ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कह सकते हैं कि दिल्ली ने अपनी ऑक्सीजन डिमांड चार गुना बढ़ाकर बताई

इसके साथ ही अब ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट पर विवाद गहरा गया है। पांच सदस्यीय कमेटी में दिल्ली सरकार द्वारा नामित सदस्यों डॉ. संदीप बुद्धिराजा और भुपिंदर एस भल्ला की असहमति अंतरिम रिपोर्ट में शामिल न किए जाने से रिपोर्ट की निष्पक्षता पर ही सवाल उठ गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी पैदा हो रहा है कि अगर इस अंतरिम रिपोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखा जाता है तो इस पर अदालत का रुख क्या हो सकता है? इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 30 जून को सुनवाई होनी है।

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के नेता डॉ. संबित पात्रा ने शुक्रवार को ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड चार गुना बढ़ाकर बताई। अपने इस आरोप के लिए उन्होंने कमेटी की उस रिपोर्ट को आधार बनाया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली की ऑक्सीजन की कुल डिमांड 289 मिट्रिक टन ही थी (ऑक्सीजन की यह अनुमानित मांग केंद्र सरकार के फॉर्मूले के आधार पर थी, जिसमें यह आधार माना गया है कि कुल नॉन-आईसीयू मरीजों के लगभग 50 प्रतिशत को ही ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है)। लेकिन दिल्ली सरकार ने अपने लिए इसी दौरान 1140 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की।

लेकिन अगर इसी ऑक्सीजन की मांग को दिल्ली सरकार के फॉर्मूले के आधार पर आंका जाए तो यही मांग 289 मिट्रिक टन से बढ़कर 391 मिट्रिक टन पहुंच जाती है। दिल्ली सरकार का फॉर्मूला यह था कि आईसीयू मरीजों के साथ साथ सभी नॉन आईसीयू मरीजों (100%) को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता है।

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