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विकास दुबे केस में एसआईटी की जांच में पूर्व डीआईजी अनंत देव दोषी

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कानपुर : विकास दुबे केस में एसआईटी के बाद अब न्यायिक जांच रिपोर्ट में भी पूर्व डीआईजी अनंत देव तिवारी समेत सभी सीओ को विकास दुबे के खिलाफ जांच में लचरता बरतने का दोषी पाया गया है। विधानसभा पटल पर न्यायिक जांच रिपोर्ट आने के बाद इसे पब्लिक डोमेन में शामिल किया गया है। एसआईटी ने पुलिस के रसूखदार अफसरों को पहले ही अपनी जांच रिपोर्ट में दोषी पाया था। उसी रिपोर्ट को न्यायिक आयोग ने सही मानते हुए अपनी जांच में शामिल किया है

बिकरू में 2 जुलाई की रात विकास दुबे और उसके गुर्गों ने दबिश देने गई पुलिस टीम पर घेरकर गोलियां बरसाईं थीं। इस हमले में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। जवाबी कार्रवाई में 3 जुलाई को पुलिस ने मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और चचेरे भाई अतुल दुबे को काशीराम निवादा गांव में मार गिराया था। 8 जुलाई को अमर दुबे को मौदहा व इटावा में बउआ, 9 जुलाई को पनकी में प्रभात मिश्रा और 10 जुलाई को सचेंडी में विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था

ये भी आरोपित माने गए

रिपोर्ट में जिन अधिकारियों को दोषी माना गया है उसमें पूर्व डीआईजी अनंत देव तिवारी के अलावा डिप्टी एसपी इंटेलीजेंस सूक्ष्म प्रकाश, सीओ कैंट आरके चतुर्वेदी, सीओ ऑफिस व नोडल अधिकारी पासपोर्ट अमित कुमार, सीओ नंद लाल सिंह, सीओ करुणाकर राव, सीओ लालप्रतार्पसिंह, सीओ हरेन्द्र कुमार यादव, सीओ सुंदर लाल, सीओ प्रेम प्रकाश, सीओ रामप्रकाश अरुण, सीओ सुभाष चन्द्र शाक्य और सीओ लक्ष्मी निवास को कार्रवाई में लचरता का आरोपी माना है

प्रारंभिक जांच की संस्तुति

शासन ने इस मामले में एसआईटी जांच गठित की। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर जस्टिस डॉ. बीएस चौहान की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया। आयोग ने बीते सप्ताह गुरुवार को विधानसभा पटल पर इस रिपोर्ट को रखा था। सीओ नंद लाल सिंह, सीओ करुणाकर राव, सीओ लालप्रतार्पसिंह, सीओ हरेन्द्र कुमार यादव, सीओ सुंदर लाल, सीओ प्रेम प्रकाश, सीओ राम प्रकाश अरुण, सीओ सुभाष चन्द्र शाक्य और सीओ लक्ष्मी निवास। सीओ अमित कुमार के खिलाफ प्रारम्भिक जांच की संस्तुति की गई है

इन 21 फाइलों का अब तक पता नहीं

विकास की 21 अपराधिक फाइलों की जानकारी भी दी है जिनका कुछ पता नहीं है। इसमें 11 फाइलें थाना शिवली की है। सन 1991 का मुकदमा भी शामिल है। 4 फाइलें कल्याणपुर की है। पहला मामला 1998 का है। 5 फाइल चौबेपुर की है जिसमें 2004 की फाइल शामिल है। एक फाइल थाना बिल्हौर की है जिसमें 2005 में रिपोर्ट दर्ज थी।

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