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शिव-पार्वती कथा सुन भावविभोर हुए श्र्रोता

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निन्दूरा बाराबंकी : क्षेत्र के जानीनगर में तीन दिवसीय कथा के दूसरे दिन शिव पार्वती विवाह पर कथा सुनाई द्वारिका नंद  महाराज ने पुराणों में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के बारे में कई बार जिक्र हुआ है। कहा जाता है शिव और पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। आइए जानते हैं कैसे हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी। सभी देवता गण भी इसी मत के थे कि पर्वत राजकन्या पार्वती का विवाह शिव से होना चाहिए। देवताओं ने कन्दर्प को पार्वती की मद्द करने के लिए भेजा लेकिन शिव ने उन्हें अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया। अब पार्वती ने ठान लिया था कि वो विवाह करेंगी तो सिर्फ भोलेनाथ से।

शिव को अपना वर बनाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या शुरू कर दी। उनकी तपस्या के चलते सभी जगह हाहाकार मच गया। बड़े-बड़े पर्वतों की नींव डगमगाने लगी। ये देख भोले बाबा ने अपनी आंख खोली और पार्वती से आवहन किया कि वो किसी समृद्ध राजकुमार से शादी करें शिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक तपस्वी के साथ रहना आसान नहीं है। इस मौके पर आयोजक रमेश यादव, रामकुमार, राधे मुरली, राम कुंवर, दिनेश आदि भक्तगण मौजूद रहे।

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