लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना संकट के बीच विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित महान संत व कवि कबीरदास जयन्ती की पूर्व संध्या पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि संत कबीरदास ने जटिल वेदांत दर्शन को एक ही पंक्ति ‘प्रेम गली अति सांकरी ता में दो न समाय’ गाकर समझाया था। प्रेम में द्वैत नही होता। दो न हों एक ही शेष रहे तो अद्वैता यही वेदांता। साधन को श्रम के संस्कारों में बांधकर मनुष्यता का संदेश दिया है। उनके करघे की खटर-पटर और बुनाई का ताना बाना अमृत तत्व का दर्शन कराते हैं। उनके गीत हर एक को आत्मविश्वास से ओत-प्रोत करते हैं।
अध्यक्ष ने वर्तमान पीढ़ी को भी कबीरदास दर्शन व वाणी से प्रेरणा लेने का अह्वान किया है। उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होकर उसके बचाव और संरक्षण के लिए अह्वान किया है। दीक्षित ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रकृति का संरक्षण सिखाती है। वह परम्पराओं का सम्मान और उसका पालन करते हुए प्रकृति के साथ चलने का संदेश देती है। कोरोना महामारी ने हमें प्रकृति संरक्षण का भी संदेश दिया है। साथ ही नवयुवा पीढ़ी को प्रकृति का संरक्षण करते हुए उसके साथ जीना सीखना चाहिए
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