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825 क्षेत्र पंचायतों में 10 जुलाई को होगा मतदान

लखनऊ : यूपी की 825 क्षेत्र पंचायतों में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज नामांकन किए जा रहे हैं। अभी तक किसी भी जिले में हिंसा या बवाल की खबर नहीं है। प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ नामांकन केंद्र पहुंच रहे हैं और पर्चे दाखिल कर रहे हैं। नामांकन पत्रों की जांच 9 जुलाई को होगी और मतदान 10 जुलाई को होगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने नामांकन से लेकर मतदान व मतगणना तक मतदान केंद्रों पर शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। भाजपा ने लगाया पूरा जोर: जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बाजी मार चुकी भाजपा ने अब क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भी विपक्षी दलों का सफाया कर गांवों की सरकार पर पूरी तरह काबिज होने की रणनीति बनाई है। पार्टी ने क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 20 से 30 फीसदी तक ब्लॉकों में अपने उम्मीदवारों के निर्विरोध निर्वाचन के लिए ताकत झोंकी है।

पार्टी की ओर से क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए बुधवार दोपहर सभी जिलों में उम्मीदवार घोषित कर दिए गए। जिन ब्लॉकों में प्रत्याशी को लेकर स्थानीय सांसद-विधायक या जिलाध्यक्ष-विधायक के बीच विवाद ज्यादा था वहां पार्टी ने अपना अधिकृत उम्मीदवार नहीं उतारा है। उम्मीदवारों की घोषणा से पहले ही पार्टी ने प्रभारी मंत्रियों और पार्टी के जिला प्रभारियों को मोर्चा संभालने के लिए जिलों में भेज दिया। मंत्रियों को अपने निर्वाचन क्षेत्र के साथ प्रभार वाले जिले के ब्लॉकों में भी अध्यक्ष का चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि जहां तक संभव हो पार्टी के उम्मीदवार का निर्विरोध निर्वाचन कराना है।

मंत्रियों और पदाधिकारियों को प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार से संपर्क कर उन्हें नामांकन दाखिल नहीं करने के लिए समझाया जाए। यदि कहीं पर पार्टी के ही कार्यकर्ता बगावत कर रहे हैं तो वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों से उनकी बात कराकर स्थिति को काबू में किया जाए। यदि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार नामांकन दाखिल भी करते हैं तो 9 जुलाई तक उनसे नामांकन वापसी का प्रयास कराने की कोशिश की जाएगी। भाजपा ने प्रदेश में करीब छह सौ से अधिक क्षेत्र पंचायतों में अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने का लक्ष्य रखा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, महामंत्री संगठन सुनील बंसल और पंचायत चुनाव प्रभारी जेपीएस राठौर, महामंत्री सुब्रत पाठक सहित तमाम पदाधिकारी बुधवार को दिनभर अधिक से अधिक निर्विरोध निर्वाचन कराने की तैयारी में जुटे रहे।

साढ़े तीन साल में 800 से अधिक टेंडर फाइलों को खंगालने के बाद की गई कार्रवाई

लखनऊ : साढ़े तीन साल में 800 से अधिक टेंडर फाइलों को खंगालने के बाद की गई कार्रवाई में बरामद दस्तावेजों से कमीशन खोरी की चेन तलाशने की चुनौती सीबीआई के सामने है। दो दिनों तक 49 स्थानों पर चले छापे में सीबीआई को ऐसे-ऐसे दस्तावेज हाथ लगे हैं जिनके तार कई बड़े अफसरों से जुड़े होने की बात कही जा रही है। अब इन्हीं दस्तावेजों के सहारे सीबीआई पता लगाएगी कि कमीशन का खेल किस स्तर पर खेला गया। सूत्रों का कहना है कि गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में कई विभागों ने मिलकर काम किया था। अलग अलग कामों के लिए लगभग 800 टेंडर किए गए थे। ऐसे में सभी विभागों से दस्तावेज उपलब्ध होना, टेंडर के सारे दस्तावेज इकट्ठा करना व उनकी पड़ताल में समय लगना स्वाभाविक है। इसके अलावा इस परियोजना की जांच सुरेश खन्ना समिति और न्यायिक समिति ने की थी।

इन दोनों जांच की रिपोर्ट भी हजारों पन्नों में थी, जिसका पूरा ब्यौरा जुटाने के बाद सीबीआई ने अलग अलग राज्यों समेत 49 स्थानों पर छापे मारे थे। सीबीआई की पहली एफआईआर में आठ इंजीनियरों के खिलाफ केस दर्ज हैं। लगभग 1500 करोड़ रुपये की गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में पहली एफआईआर लखनऊ के गोमतीनगर में 19 जून 2017 को दर्ज की गई थी। इस एफआईआर में गुलेश चंद्र, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिव मंगल, अखिल रमन, कमलेश्वर, रूप सिंह यादव और सुरेंद्र यादव का नाम शामिल है।

17 जुलाई को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए प्रदेश सरकार ने लिखा था। सीबीआई ने 24 नवंबर को जांच स्वीकार करते हुए अधिसूचना जारी की और 30 नवंबर को उक्त एफआईआर को आधार बनाकर अपने यहां एफआईआर दर्ज की थी। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अभी कुछ और एफआईआर दर्ज होगी। फिलहाल सीबीआई इस परियोजना में दखल रखने वाले बड़े अफसरों की भूमिका तलाश रही है।

टिकट ब्लैक करने वाले अब कॉरपोरेट कंपनियों की लॉबिंग कर रहे

लखनऊ : संसदीय कार्य मंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने बिना किसी का नाम लिए आरोप लगाया है कि टिकट ब्लैक करने वाले अब कॉरपोरेट कंपनियों की लॉबिंग कर रहे हैं। वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी आपदा में अवसर तलाश रहे हैं। कोरोना काल में जब लोगों को मदद की जरूरत थी तब न उनकी पार्टी दिखी और न ही उनकी पार्टी का कोई नेता। ऐसे लोगों की प्रदेश में दाल गलने वाली नहीं है। वह दिल्ली से लेकर पंजाब, गुजरात, गोवा और उत्तराखंड में जनता के बीच एक्सपोज हो चुके हैं। वो आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह के बयान पर जवाब दे रहे थे जिसमें संजय सिंह ने कहा था कि कोरोना काल में चिकित्सकीय उपकरणों में खरीद घोटाले की लड़ाई आम आदमी पार्टी लड़ेगी।

खन्ना ने कहा कि प्रदेश में संभावित तीसरी लहर को देखते हुए युद्ध स्तर पर तैयारी की जा रही है। इसके लिए चिकित्सकों की विशेषज्ञ कमेटी भी बनाई गई है और उनकी सलाह पर उच्च गुणवत्ता वाले जरूरी मेडिकल उपकरणों की खरीदारी की जा रही है। यह बात कुछ विपक्षी दलों के नेताओं को रास नहीं आ रही है इसलिए वह प्रवासी पक्षियों की तरह रह-रह कर यूपी में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। यूपी की जनता भूली नहीं है कि किस तरह से दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसका खामियाजा दिल्ली सरकार को भुगतना होगा। आम आदमी पार्टी शायद यह भूल गई है कि इन्हीं आदतों की वजह से उनके नेता को कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी थी। भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले पहले तथ्यों की पड़ताल कर लें अन्यथा झूठे आरोपों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

1.75 लाख मृतक ले रहे वृद्धावस्था पेंशन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में वृद्धावस्था पेंशन योजना में शामिल 1.75 लाख लाभार्थी मृत पाए गए हैं। यह खुलासा सूची में शामिल 51.21 लाख लाभार्थिर्यों में से 40 लाख के सत्यापन में हुआ है। अब मृत मिले व्यक्तियों के खातों से राशि लौटाने के लिए बैंकों से संपर्क किया जा रहा है। साथ ही अवैध रूप से निकाली गई राशि की रिकवरी कराने की तैयारी है।

प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले बुजुर्गों के लिए सरकार 500 रुपये प्रति माह पेंशन देती है। वर्तमान में 51.21 लाख बुजुर्गों के लिए 3600 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान है। अप्रैल-मई-जून में समाज कल्याण निदेशालय को मिली 40 लाख लाभार्थियों की सत्यापन रिपोर्ट में 1.75 लाख लाभार्थी मृत और तीन हजार अपात्र मिले हैं। इस तरह सत्यापन में 4.37 प्रतिशत लाभार्थी मृत पाए गए है। समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मृतकों के खातों में भेजी गई राशि बैंकर्स चेक के माध्यम से विभाग को वापस कर दी जाती है, जिन केसों में ऐसा नहीं होगा, वहां रिकवरी की जाएगी।

हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का निधन

 

लखनऊ : हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का निधन: मुख्यमंत्री योगी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जताया शोक यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर शोक जताया है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हिमाचल की जनता ने एक सच्चा जनसेवक को खो दिया। मुख्यमंत्री ने पुण्यात्मा की शांति की कामना करते हुए परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की मुख्यमंत्री योगी ने ट्वीट किया कि वरिष्ठ राजनेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जी का निधन अत्यंत दुःखद है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति वहीं, अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि अत्यंत दुःखद! हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह जी का निधन, अपूरणीय क्षति। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने  चरणों में स्थान व शोक संतप्त परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। भावभीनी श्रद्धांजलि।

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