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मोदी सरकार 33 वर्षों बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव की तैयारी में

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लखनऊ : करीब तीन दशक बाद केन्द्र की मोदी सरकार देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव करने जा रही है। आज शाम 4 बजे मोदी कैबिनेट की होने वाली बैठक में नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी दी सकती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी प्रस्ताव दिया है कि उसका नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया जाए। जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बाॅडी स्थापित करने की तैयारी में है। जिसका उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र की तमाम अव्यवस्थाओं को खत्म करना है।

क्या-क्या हो सकते हैं सुधार

जानकारी के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश की दो बड़ी संस्थाओं यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) और द ऑल इंडिया काउंसिल फाॅर टेक्निकल एजूकेशन (एआईसीटीई) को एक साथ मिलाने की तैयारी में है। दोनों संस्थाओं को मिलाकर एक रेगुलेटरी बाॅडी (नियामक संस्था) बनाया जाएगा। मौजूदा रेगुलेटरी बाॅडी को नई भूमिका में लाया जाएगा। पूरे उच्च शिक्षा के लिए नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा।

बोर्ड परीक्षाओं में हो सकता है अहम बदलाव

नई शिक्षा नीति में दूसरा अहम बदलाव बोर्ड परीक्षाओं को लेकर हो सकता है। नई व्यवस्था में छात्रों को मनपसंद कोर्स चुनने की आजादी दी जा सकती है। स्किल पर खास जोर होगा। परीक्षा के तौर-तरीके में बड़ा बदलाव किया जा सकता है।

नई शिक्षा नीति में छात्रों को एक साल में परीक्षा के लिए कई मौके मिल सकते हैं। ताकि बच्चों पर से परीक्षा का दबाव हटाया जा सके। बोर्ड की वार्षिक परीक्षा को खत्म कर सेमेस्टर प्रणाली लागू की जा सकती है।

शिक्षा का अधिकार कानून में हो सकता है बदलाव

नई शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) में भी बदलाव किया सकता है। 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकारी देने वाले इस कानून में प्री-प्राइमरी शिक्षा को भी शामिल किया जा सकता है। अधिकतम 14 वर्ष की उम्र घटाकर 18 साल की जा सकती है। कक्षा 9 से 12वीं तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान भी लागू किया जा सकता है।

क्षेत्रीय भाषाओं पर भी रहेगा जोर

नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता मिल सकती है। स्कूलों में संस्कृत के अलावा उड़िया, तेलगू, तमिल, पाली और मलयालम भाषाओं को शामिल किया जा सकता है। यह बदलाव कक्षा 6 से 8वीं तक किया जा सकता है। इसके अलावा देश में वैश्विक विश्वविद्यालयों के कैंपस खोले जाने की इजाजत दी जा सकती है।

रेगुलेटर का नया नाम

जानकारी के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए नए रेगुलेटर का खाका तैयार कर लिया है। नए रेगुलेटर का नाम नेशनल हाॅयर एजूकेशन रेगुलेटरी अथाॅरिटी (एनएचईआरए) या हाॅयर एजूकेशन कमिशन ऑफ इंडिया होगा।

1992 में हुआ था आखिरी बदलाव

आपको बता दें कि मौजूदा मानव संसाधन विकास मंत्रालय को 25 सितंबर 1985 तक शिक्षा मंत्रालय के नाम से ही जाना जाता था। 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई बदलाव करते हुए तत्कालीन सरकार ने इसका नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया। 1992 में इसमें कुछ बदलाव किए गए थे। तब से लेकर अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

काफी समय से महसूस की जा रही बदलाव की जरूरत
पिछले कुछ समय से देश की शिक्षा नीति में बदलाव की मांग की जा रही है। तमाम शिक्षाविद्वों के साथ ही केन्द्र सरकार का भी मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में खेल को भी अहम स्थान मिल सकता है। हाल ही में केन्द्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि नई शिक्षा नीति में खेल पाठ्यक्रम का अहम हिस्सा होगा

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