कानपुर : टैगोर के शब्दों में साधक के चित्त को गतिशील कर उठाना गुरु की अपनी साधना का अंग है उनके साथ से शिष्य के जीवन को प्रेरणा मिलती है और वे गुरु और शिष्य के बीच परस्पर सहज सापेक्ष संबंध को ही विद्यादान का प्रधान माध्यम मानते थे उस शिक्षा दर्शन के व्यवहार का सु परिणाम देखा जा सकता है कि शांतिनिकेतन ने भारत को कई क्षेत्रों में अनेक बड़ी-बड़ी प्रतिभाएं दी उपरोक्त बात राष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी महिला द्वारा आयोजित गुरु पूर्णिमा पर्व के अवसर पर ज्योति बाबा के नमन सम्मान कार्यक्रम के बाद अपने अध्यात्मिक संदेश में अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही,ज्योति बाबा ने आगे कहा कि केवल कक्षा में पाठ सिखाने सिद्धांतों को तथ्यों का वर्णन करने से शिक्षा नहीं होती वह होती है गुरु द्वारा अपने प्रेम और निष्ठा से उड़ेल देने में,परंतु सभी शिक्षाओं का मूल है धर्म,गुरु का काम शिष्य में अध्यात्मिक शक्ति का संचार करना है ना कि उसकी बुद्धि तेज करना है l
इससे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नीतू शर्मा व मंडल अध्यक्ष प्रीति सोनी व अन्य साधकों ने ज्योति बाबा को नमन सम्मान कर पगड़ी अंगवस्त्र पहना कर स्वागत किया और गुरु वंदना भी गाई l नीतू शर्मा ने कहा कि व्याकुल शिष्य को गुरु मिल ही जाते हैं सच्चा गुरु केवल सहायता देता है बीज और पौधे की तरह हर विद्यार्थी में अपनी स्थिति संचित होती है और वह अपने आप सीख लेता है अंत में योग गुरु ज्योति बाबा ने गुरु दक्षिणा के रूप में सभी से भारत के बचपन को नशा,प्रदूषण व कुपोषण मुक्त बनाने में प्राण प्रण से जुट जाने का संकल्प भी कराया l सम्मान कार्यक्रम में भाग लेने वाले अन्य प्रमुख दीपक सोनकर,अनिल सिंह चंदेल,यशस्वी वाजपेई,हर्षवर्धन त्रिवेदी,हरजीत सिंह सहगल,श्री नारायण मिश्र योगी,सृष्टि मिश्रा,अनीता दुआ,विमल माधव,संगीता तिवारी,निर्मला राठौर,संगीता दीक्षित,दीप्ति अवस्थी,हर्ष सोनी,रोहित कुमार विनीता सिंह इत्यादि थी l