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कोविड-19 हास्पिटल एसआरएन में इंस्पेक्टर ने डॉक्टर को पीटकर किया अधमरा

प्रयागराज : के स्वरूपरानी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में अस्पताल में शुक्रवार सुबह प्रतापगढ़ में तैनात इंस्पेक्टर की मां की मौत के बाद बवाल हो गया। तीमारदारों ने एक डॉक्टर की जमकर पिटाई कर दी, जिससे वह अधमरा हो गया। इससे नाराज अस्पताल कर्मचारियों ने इंस्पेक्टर समेत तीनों भाइयों को पीट दिया और इसके बाद हड़ताल कर दिया। घटना दे रात की बताई जा रही है। अस्पताल में इलाज बंद होने से हाहाकार मच गया। इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने इंस्पेक्टर को तत्काल सस्पेंड कर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विधिक कार्रवाई करने की बात कही, लेकिन जूनियर डॉक्टर मानने को तैयार नहीं  हुए। सुबह से अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है।

प्रतापगढ़ में तैनात इंस्पेक्टर जुल्फिकार की मां 18 अप्रैल से स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती थी। गुरुवार देर रात उनकी हालत गंभीर हो गई। आरोप है कि वह नान कोविड थी और उन्हें कोविड वार्ड में शिफ्ट दिया गया। इसी बात को लेकर इंस्पेक्टर और डॉक्टर से कहासुनी हो गई। इंस्पेक्टर समेत तीनों भाइयों ने डॉक्टर पर हमला कर दिया। उसका सर फट गया। इससे नाराज अस्पताल कर्मचारियों ने  इंस्पेक्टर समेत तीनों भाइयों को जमकर पीटा। तीनों वहीं अधमरे होकर पड़ गए। इस घटना के बाद से जूनियर डॉक्टर हंगामा करने लगे। उन्होंने अस्पताल का काम छोड़ दिया और हड़ताल पर चले गए। सूचना मिलते ही आईजी केपी सिंह समेत पुलिस के आला अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। इंस्पेक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और उसे निलंबित करने के आश्वासन पर डाक्टर काम पर लौट आए हैं।

श्मशान घाटों-कब्रिस्तानों में बढ़ी शवों की तादाद

प्रयागराज  : कोविड-19 से लगातार हो रही मौतों की वजह से श्मशान घाटों पर दिक्कतें पैदा हो गई हैं। अब दारागंज श्मशान घाट और फाफामऊ में चिता लगाने वालों का भी संकट पैदा हो गया है। ऐसे में दारागंज श्मशान घाट पर इंतजार की घड़ियां गिनते तमाम लोग खुद ही चिता लगाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। श्मशान घाटों पर जगह भी नहीं मिल रही है। इसलिए लोगों को अपने शवों को जलाने के लिए बारी का इंतजार भी करना पड़ रहा है। इसी तरह कालाडांडा कब्रिस्तान में भी 20 से 25 शवों को प्रतिदिन सुपर्द-ए-खाक किया जा रहा है।

दारागंज श्मशान घाट पर बृहस्पतिवार को अंतिम संस्कार के लिए बारी का इंतजार करने में शवों को लेकर लोग घंटों प्रतीक्षा करते रहे। देर रात तक शवों को लाए जाने और चिता सजाने का सिलसिला जारी रहा। श्मशान घाट पर भीड़ लगने की वजह से पुलिस को कई बार सख्ती कर लोगों को हटाना पड़ा। बावजूद इसके गमगीन माहौल में लोग अपने शवों के अंतिम संस्कार के लिए जूझ रहे हैं। श्मशान घाटों पर शवों की संख्या बढ़ने से शवों की नियत स्थान के मानक मिट गए हैं।

अंतिम संस्कार के लिए दो गज का फासला तक अब मयस्सर नहीं है। जलती चिताओं के बीच नई चिता सजाने के लिए जगह की तलाश स्वजनों के आंसू नहीं थमने दे रही है। दारागंज श्मशान घाट पर लकड़ी का काम करने वाले शिवम ने बताया कि बृहस्पतिवार को वहां 67 शवों का अंतिम संस्कार कराया गया। इसी तरह दो दिन पहले वहां सौ से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कराया गया था। इसी श्मशान घाट पर काम करने वाले प्रशांत बताते हैं कि शवों की संख्या में इजाफा होने से मुखाग्नि के लिए दी जाने वाली आग से लेकर लकड़ी तक के मनमाना दाम वसूले जा रहे हैं। चिताएं लगाने वाले कम पड़ गए हैं। ऐसे में तमाम लोग अपने से चिता सजाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

प्रयाराज दारागंज श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए स्वजनों,रिश्तेदारों की भीड़ उमड़ने से सामाजिक दूरी के फर्क मिट गए। न दो गज की दूरी रही और न चेहरे पर माक्स ही लोगों के नजर आ रहा था। ऐसे में पुलिस को ऐसे लोगों को मास्क की अनिवार्यता समझाने के लिए वहां से तितर-बितर करना पड़ा। श्मशान घाट से लेकर सब्जी मंडी तक बिना मास्क भीड़ लगा रहे लोगों के खिलाफ पुलिस को सख्त रुख अपनाना पड़ा। मुखाग्नि के लिए आग की भी कीमत बढ़ गई है। दारगंज श्मशान घाट पर अब अंतिम संस्कार के लिए पांच सौ से लेकर एक हजार रुपये तक सिर्फ आग देने के लिए लिए जा रहे हैं। पहले दो सौ रुपये में ही आग मिल जाया करती थी।

जिले में एक्टिव मरीज 17 हजार के पार अस्पतालों में बिस्तर 1977

प्रयागराज : कोरोना संक्रमण का बढ़ता प्रसार और मरीजों की हर दिन बढ़ती संख्या के सापेक्ष जिले में गंभीर कोविड संक्रमितों के लिए अस्पतालों में बिस्तर नहीं हैं। कुल एक्टिव मरीजों की संख्या 22 अप्रैल की शाम पांच बजे तक 17 हजार 99 हो गई पर इलाज के लिए 1977 बेड की व्यवस्था है। इनमें कालिंदीपुरम कोविड केयर सेंटर एलवन अस्पताल में बिस्तर तो 400 हैं, लेकिन मरीज सिर्फ 22 ही भर्ती हैं। यहां बिना लक्षणों वाले संक्रमितों को भर्ती कर इलाज करने की सुविधा है।

अप्रैल महीने में संक्रमितों के आंकड़े खौफ बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं। नए पॉजिटिव मरीजों की संख्या दो हजार से पार है। वहीं संक्रमण से गंभीर मरीजों की जान भी जा रही है। कहीं भर्ती होने की जद्दोजहद तो कहीं दवाओं और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है। मंडल के सबसे बड़े अस्पताल एमएलएन मेडिकल कॉलेज के एलथ्री एसआरएन अस्पताल में बृहस्पतिवार शाम तक 485 बेड थे। एसआईसी डॉ. अजय अब कोविड मरीजों के लिए बेड की संख्या 518 हो गई है। उन्होंने बताया कि कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

वहीं तेज बहादुर सप्रू अस्पताल (बेली) में 20 बेड के आईसीयू के साथ कुल 180 बिस्तरों पर कोविड संक्रमितों को भर्ती करने की व्यवस्था है। इस एलटू अस्पताल में फिलहाल कोई जगह नहीं है। वहीं एलटू रेलवे हॉस्पिटल के भी सभी सौ बेड फुल हैं। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. ऋषि सहाय के मुताबिक निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों का इलाज शुरू होने से संक्रमितों को राहत मिली है। अगले 24 घंटे में साईंनाथ एएमए द्वाराका हास्पिटल में भी 40 कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने का काम शुरू हो जाएगा। इस अस्पताल में प्रारंभिक व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं।

टीबी सप्रू बेली अस्पताल में 40 बेड का एक वार्ड बंद कर दिया गया है। इस वार्ड में इंटरनल ऑक्सीजन लाइन स्थापना का काम शुरू हुआ है  ताकी गंभीर संक्रमित कोरोना मरीजों का बेहतर उपचार किया जा सके। बेली के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एमके अखौरी के मुताबिक यह काम चार दिन में पूरा करा लिया जाएगा।

शहर के सृजन अस्पताल, फिनिक्स, आशा, यश, नारायण स्वरूप, यूनाइटेड मेडीसिटी, वात्सल्य, ओझा शंकुतला, मां शारदा हॉस्पिटल, प्राची, विनीता हॉस्पिटल में कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है। किसी निजी अस्पताल के कोविड वार्ड में बेड खाली नहीं हैं। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ ऋषि सहाय के मुताबिक अगले दो दिनों में दो से तीन अन्य निजी अस्पतालों में कोविड संक्रमितों को भर्ती करने की सुविधा हो जाएगी।

दिल्ली से आने वालों की बढ़ रही संख्या

प्रयागराज : महाराष्ट्र के मुकाबले अब दिल्ली से आने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। जिन्हें ट्रेन में जगह नहीं मिल रही वो रोडवेज बसों से प्रयागराज पहुंच रहे हैं। रेलवे स्टेशन पर अब सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही यात्री मास्क पहने हुए दिखाई दे रहे हैं, लेकिन रोडवेज यात्रियों में जागरूकता की कमी है। प्रयागराज जंक्शन की बात करें तो बृहस्पतिवार की सुबह स्वतंत्रता सेनानी, प्रयागराज एक्सप्रेस, हमसफर एक्सप्रेस, शिवगंगा, रीवा सुपरफास्ट आदि ट्रेनों से काफी संख्या में प्रवासी कामगार यहां उतरे। इसमें बहुत से ऐसे रहे, जो यहां उतरने के बाद बस एवं अन्य साधनों से प्रतापगढ़, जौनपुर, भदोही, चित्रकूट आदि के लिए रवाना हो गए। बहुत से यात्रियों के पास सामान इतना ज्यादा था कि एक बारगी यही लगा कि वह अब दिल्ली से अपनी पूरी गृहस्थी ही समेट कर आ गए हैं। वहीं अन्य दिनों के मुकाबले महाराष्ट्र से आने वाली ट्रेनों से ज्यादा प्रवासी बृहस्पवितार को प्रयागराज नहीं आए। प्रयागराज जंक्शन पर नई दिल्ली-मंडुवाडीह एक्सप्रेस से उतरे मऊआइमा के मो. साजिद ने बताया कि दिल्ली में लॉकडाउन का अंदेशा उन्हें पहले ही हो गया था। बताया कि वह दिल्ली के हरि नगर में फल बेचते हैं। लॉकडाउन में सब बंद करना पड़ना पड़ा।

पिछले वर्ष भी लॉकडाउन के दौरान वह दिल्ली में ही थे। तब भी परिवार के भरण पोषण की बहुत दिक्कत हुई। इस बार दिल्ली में जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं, उससे इस बात की आशंका है कि सीएम केजरीवाल लॉकडाउन आगे भी बढ़ा सकते हैं। इसी वजह से तत्काल कोटे में टिकट कटाकर  वह प्रयागराज आ गए। अब कम से कम यहां भूखे रहने की नौबत तो नहीं आएगी। इसके पूर्व प्रयागराज एक्सप्रेस से  आए सोरांव के रमेश यादव ने बताया कि वह  रोहिणी में एक फर्नीचर व्यवसायी के यहां काम करते हैं। वहां उनका पूरा काम कारपेंटर का ही है। लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से उन्होंने अपनी पत्नी स्वाति और पांच वर्ष के पुत्र देव के साथ वापस घर आने में ही भलाई समझी।  कहा कि वह अपनी पूरी गृहस्थी का तकरीबन सारा सामान लेकर आए हैं। अब दिल्ली नहीं जाएंगे। जब तक माहौल ठीक नहीं हो जाता तब तक वह सोरांव में रहेंगे। इसके बाद प्रयागराज या फिर सोरांव बाजार में ही कारपेंटर से जुड़ा काम शुरू किया जाएगा।

कोरोना से थोड़ी राहत संक्रमितों से ज्यादा लोग हुए स्वस्थ

प्रयागराज : कोरोना के बढ़ते कहर के करीब 15 दिन बाद थोड़ी राहत मिलती दिख रही है। आंकड़े गवाह बने हैं कि इस अप्रैल महीने में बृहस्पतिवार को संक्रमितों से ज्यादा कोरोना को मात देने वाले रहे। जिले में रिकार्ड 13651 लोगों की कोविड जांच की गई। 24 घंटे में 2156 नए कोविड पॉजिटिव चिह्नित किए गए। वहीं 2169 लोग संक्रमणमुक्त हुए। उपचार के दौरान पूर्व सांसद सुरेश पासी समेत 13 लोगों की मौत भी हुई।  जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. ऋषि सहाय के मुताबिक जिले में चिह्नित नए संक्रमितों में गंभीर मरीजों की संख्या पहले से काफी कम है। 24 घंटे में जिन लोगों की कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, उनमें लक्षणविहीन पहले से कम हैं। कुल 2156 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। वहीं स्वस्थ हुए 2169 लोगों में 79 विभिन्न कोविड अस्पतालों से डिस्चार्ज किए गए। इनमें करीब दस लोगों को सांस लेने में दिक्कत और ऑक्सीजन असंतुलित होने के कारण आब्जर्वेशन में रखा गया। जिनके स्वास्थ्य में सुधार है।

डॉ. ऋषि सहाय ने बताया कि जिले में संक्रमितों की संख्या बढ़ने से एक्टिव मरीज शाम पांच बजे तक 17099 हो गई है। होम आइसोलेशन में 32271 लोग कोरोना को मात दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व सांसद सुरेश पासी समेत 13 लोगों की उपचार के दौरान मौत हो गई। उन्होंने बताया कि सौ से अधिक आरआरटी टीमें संक्रमितों का परीक्षण कर उन्हें उपचार या भर्ती की सलाह देकर सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम कर रही हैं।

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