जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही थी,लेकिन 21 अक्टूबर को जिंदगी की जंग हार गयी।
रायबरेली : सलोन थाना क्षेत्र के रेवली गांव निवासिनी सलमा बानों अपने परिजनों के साथ शहर के सिविल लाइन स्थित वात्सल्य नर्सिंग होम डॉ हिमानी रस्तोगी से प्रसव कराने पंहुची। जंहा नार्मल डिलीवरी की बात कह कर मरीज को भर्ती कर लिया गया। 15 अक्टूबर को लगभग 11 बजे भर्ती की गयी मरीज का 1 बजे दोपहर आपरेशन कर दिया। प्रसव करा दिया गया जब्कि मरीज को पहले से पीलिया की बीमारी थी और उसका हीमोग्लोबिन लगभग 8 प्रतिशत था। कम माना जाता है। आपरेशन के बाद मरीज को होश नहीं आया पूरी दिन बीतने के बाद 16 अक्टूबर को सुबह जब मरीज के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा काट दिया। तो अस्पताल प्रशासन ने आनन् फानन में मरीज को बेहोशी की हालत में ही लखनऊ के लिए रिफर कर दिया, और अस्पताल द्वारा प्रसव के लिए गए पैसे भी परिजनों को वापस कर दिया। परिजन जब मरीज को लेकर लखनऊ मधुबन हॉस्पिटल पंहुचे तो वंही जांच के बाद पता चला कि महिला को ब्रेन हैमरेज हो चुका है, और वह इलाज नहीं कर सकते। जिसके बाद परेशान परिजन महिला को लखनऊ में ही रुकसाना हॉस्पिटल में ले गए। जहा महिला के ब्रेन के आपरेशन के लिए कहा गया है। तब से वह महिला एक निजी अस्पताल के इलाज की लापरवाही की सजा भुगतते हुए।
जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही थी लेकिन 21 अक्टूबर को वह जिंदगी की जंग हार गयी और उसकी मौत हो गयी। आखिर निजी अस्पतालों की लापरवाही ने एक युवती की जान ले ली। लेकिन इन पर कार्यवाही नहीं हो सकती। क्योकि मरीज के परिजन खुद इतना परेशान और आर्थिक रूप से टूट चुके होते है, कि उन्हें किसी के खिलाफ शिकायत करने का सहस तक नहीं हो पाता है। कोविड -19 महामारी के दौर में निजी अस्पतालों ने मरीजों के इलाज में जमकर लापरवाहियां की , जिसका खामियाजा कई मरीजों को अपनी जान गँवा कर चुकाना पड़ा
ऐसा ही एक मामला वात्सल्य नर्सिंग होम का है जंहा प्रसव कराने आई एक महिला का आपरेशन किया गया। लेकिन करीब 12 घण्टे बीत जाने के बाद भी जब उसे होश नहीं आया तो परिजनों ने हंगामा काटा .आनन् फानन में अस्पताल प्रशासन ने मरीज को लखनऊ रिफर किया और फीस के पैसे भी वापस कर दिए। लेकिन वंही पर भी मरीज को होश नहीं आया उसे ब्रेन हैमरेज हो चुका था। आखिर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही सलमा ने 21 अक्टूबर को दम तोड़ दिया।