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फाइलेरिया की दवा खाने की सलाह दे रहे रामबाबू

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कन्नौज। उमर्दा ब्लाक के ग्राम अगौस निवासी रामबाबू कुशवाहा, उम्र 62 वर्ष किसानी करते हैं। उन्होंने बताया कि मुझे वर्षों से फाइलेरिया है। निजी चिकित्सकों को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस बीच सरकारी चिकित्सकों ने फाइलेरिया बताया है। पहले तो मैं इस बीमारी के बारे में जानता भी नहीं था। लेकिन स्वास्थ्य टीम के बार-बार समझाने के पर अब इस बीमारी की गंभीरता समझ में आने लगी है। स्वास्थ्य टीम के प्रयास से दवा और एमएमडीपी किट मिली है। टीम के लोगों ने पैर की सफाई के बारे में विस्तार से समझाया है। अब लगता है कि यही दवा समय पर पहले ही खा लिया होता तो शायद ऐसी हालत न होती। रामबाबू अब हर आने जाने वाले को फाइलेरिया की दवा खाने की सलाह देते हैं।
रामबाबू तो सिर्फ एक नाम है। ऐसे कई जनपदवासी हैं जो फाइलेरिया ग्रस्त हैं और दवा न खाने को लेकर पछता रहे हैं। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. हिलाल अहमद खान का कहना है कि फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। इससे बचाव के लिए सिर्फ दो उपाय है। पहला तो मच्छरों से बचाव करें और दूसरा फाइलेरिया अभियान के दौरान साल में एक बार मिलने वाली दवा का सेवन जरूर करें। उन्होंने बताया कि जिले में फिलहाल 516 फाइलेरिया रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज चल रहा है। इसमें 431 मरीज हाथीपांव व 85 मरीज हाइड्रोसील ग्रस्त हैं। साथ ही लगभग 332 मरीजों को फाइलेरिया किट भी दी जा चुकी है। जो भी मरीज है, वह दवा का सेवन करते रहे और ज्यादा परेशानी होने पर अस्पताल में जाकर इलाज जरूर लें। उन्होंने बताया कि दो वर्ष से कम, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को फाइलेरिया की दवा नहीं खानी है। इसके अलावा हर व्यक्ति को एमडीए या आईडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया की दवा अवश्य खानी है।
—लक्षण व बचाव —
फाइलेरिया रोग के मुख्य लक्षण बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, उल्टी आना, चक्कर आना, चकत्ते एवं खुजली का होना आदि हैं। इन लक्षणों के होने पर तुरंत अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में संपर्क करें। साथ ही इस बीमारी से बचने के लिए घरों के आसपास गंदगी व कूड़ा इकट्ठा न होने दें। नालियों और गड्ढों में पानी जमा न होने दें। मच्छरों से बचने के सभी उपाय करें।

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