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क्रांतिकारी सन्त गोविंदाचार्य जी महाराज पंचतत्व में विलीन

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पुरवा,उन्नाव : राम जन्म भूमि आंदोलन के क्रांतिकारी सन्त गोविंदाचार्य जी महाराज पंच तत्व में विलीन हो गए, तेरह फरवरी को मंदिर में आरती बाद तबियत बिगड़ गयी थी इलाज के उन्हें उनके शिष्य ने लखनऊ सिथित एक प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया था, छः दिन की सघन चिकित्सा बाद आज साढ़े ग्यारह बजे महाराज जी ने अंतिम सांस ली, आश्रम से जुड़े शिष्यों के मुताबिक मंगलवार को सन्त परम्परा के अनुसार अंतिम संस्कार किया जायेगा, अयोध्या स्थित मणिराम छावनी के स्वामी जगतगुरु वासुदेवानन्दचार्य के शिष्य स्वामी गोविंदाचार्य जी 1982 में हिलौली की ग्राम पंचायत रामपुर में राम जानकी मंदिर की सेवा के लिए भेजे गए थे तब वह 26 वर्ष के नवयुवक सन्त थे

अपने उग्र प्रवचनों के कारण चर्चा में आये गोविन्दाचार्य जी 1986 मे विश्व हिंदू परिषद से जुड़कर रामजन्म भूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका के संवाहक बने, बताया जाता है कि महाराज जी जब बोलते थे तो हिन्दू जनमानस उत्तेजित हो जाता था कहा जाता है कि उस समय प्रसाशन की निगाहें गोविंदाचार्य जी को खोजा करती थी अयोध्या से रामपुर कैसे आये सवाल का जबाब देते हुए महाराज जी के शिष्य नवनीत बाजपेई ने बताया कि बाबा मनोहर दास की कुटी स्थित राम जानकी का विशाल मंदिर जिसकी पूजा अर्चना बाबा मनोहर दास कर रहे थे बृद्धावस्था आते ही उन्होंने अयोध्या मणिराम छावनी से आग्रह किया तो वहाँ से गोविंदाचार्य जी को भेजा गया बतातें चलें कि राम जानकी मंदिर का संचालन अयोध्या से होता रहा है महराज की मृत्यु की खबर फैलते ही अंतिम दर्शन के लिए आश्रम की ओर लोगों का तांता लग गया बताया गया है कि मंगलवार की सुबह अयोध्या से सन्तों के आने के बाद ही सन्त परम्परा के अनुसार अंतिम संस्कार किया जायेगा।

राम जन्मभूमि आंदोलन के समय स्वामी गोविंदाचार्य जी जेल भी गए, उनके पुराने साथी राधेश्याम साहू ने बताया कि 15 दिन तक महाराज जी रायबरेली जेल में रहे।सन्त होने के कारण उन्हें अलग बैरिक में रहने को दिया गया था, यही नहीं महाराज जी जेल में अपना भोजन स्वंय बनाते थे महाराज जी दिनचर्या जेल के अभिलेखों में आज भी दर्ज है स्वामी गोविंदाचार्य जी सँस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे भागवत पुराण उन्हें इस कदर कंठस्त थी कि कभी भी उन्हें पुराण का पृष्ठ नहीं पलटना पड़ा, वह कथा वाचन के लिए दूर दूर तक जाया करते थे उनके शिष्यों के विशाल जाल आसपास के जनपदों में फैला हुआ है।

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