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नमाज की जमात में 5 से अधिक लोगों पर पाबंदी का निर्णय अव्यवहारिक- महमूद मदनी

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इस निर्णय पर पुनर्विचार करें केन्द्र और यूपी सरकार

लखनऊ : कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। और चार चरणों के लॉकडाउन के बाद सरकार ने अनलॉक-1 लागू कर दिया है। और इनमें तमाम रियायते देते हुए धार्मिक स्थलों को भी खोलने की अनुमति दे दी है। वहीं सरकार ने धार्मिक स्थलों में जारी गाइडलाइन के अनुसार ही प्रवेश की अनुमति दी है।

जमीयत उलमा-ए- हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने यूपी सरकार की तरफ से मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए जमात में 5 व्यक्तियों से ज्यादा जाने पर पाबंदी लगाने को अव्यावहारिक और अनुचित ठहराया है। मौलाना ने कहा कि सभी धर्मों की इबादत, पूजा, अर्चना करने के तरीके अलग-अलग होते हैं। जहां मस्जिद का मामला है, तो मस्जिद में नमाज सामूहिक तरीके से अदा की जाती है। यह कोई निजी व्यक्तिगत कार्य नहीं है और ना ही मस्जिद में दोबारा जमात की जाती है।

ऐसी स्थिति में एक जमात में 5 लोगों से ज्यादा प्रवेश पर पाबंदी लगाना ना सिर्फ कठिनाई उत्पन्न करने वाला कार्य है बल्कि सरकार की ओर से अनलॉक-1 अंतर्गत जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में दी गई सुविधाओं के भी विपरीत है। मस्जिदों के जिम्मेदार को लगता है कि मस्जिदों को लेकर ज्यों की त्यों स्थिति बनाए रखने का प्रयास किया गया है। जबकि शॉपिंग मॉल, बाजार यहां तक कि सरकारी कार्यालय और यातायात की संख्या में कोई बाध्यता नहीं है। तो फिर इबादतगाहों में इस तरह का प्रतिबंध लगाने का क्या औचित्य है।

मस्जिदों में सरकारी गाइडलाइन के तहत दिए गए निर्देशों का पालन किया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है। ऐसे में सरकार के इस निर्णय को जमीयत उलमा ए हिंद गलत और अनुचित मानती है। उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करती है कि वह अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करें और मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग की शर्त के साथ सभी को नमाज पढ़ने की अनुमति दे। मौलाना ने कहा कि सरकार का यह निर्णय हर स्थित में अस्वीकार्य और अव्यवहारिक है।

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