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मोदी सरकार के स्वच्छ भारत के सपनों को पलीता लगा रहे है प्रधान,

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प्रधान और सचिव मिलकर कर रहे है सरकारी धन का बंदरबाट

उन्नाव:  प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री सभी का जोर देश व प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त करने पर है इसके लिए विभिन्न योजनाएं भी चलाई जा रही हैं शहर हो या गांव लोगों को शौचालय बनाने के लिए अनुदान भी दिया जा रहा है लेकिन जो शौचालय बने हैं उनकी क्या स्थिति है इस पर किसी का ध्यान नहीं है कुछ ही ऐसी उपेक्षा और प्रशासनिक अनदेखी की कहानी बयां करती नजर आ रही है,स्थानीय विकासखंड की अंतर्गत ग्राम पंचायत पट्टी हमीद में 5.71 लाख रुपये से सृजित सामुदायिक शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। जो अनुपयोगी होने के साथ ही खंडहर में तब्दील हो चुका है

इस शौचालय के बाहरी रंग-रौगन तो कुछ और ही बयां कर रही है मगर अंदर की तस्वीरें स्वच्छ भारत मिशन का मखौल उड़ाती नजर आ रही हैं क्षेत्र की ग्रामीण आबादी वाले गांव पट्टी हमीद में लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लाखों रुपये की लागत से आंगनबाड़ी केंद्र के समीप शौचालय का निर्माण कराया गया था। शुरुआती दिनों में तो व्यवस्था ठीक-ठाक चलती रही लेकिन कुछ दिन बाद लक्ष्य के सापेक्ष निर्माण पूर्ण करने की हड़बड़ाहट में शौचालय की प्रथम दीवार को रंग रौगन करा फोटो अपलोड कर दी गई बचत का बाकी पैसा सचिव प्रखर बाजपेयी व प्रधानपति इदरीश की पॉकेटमनी के रूप में परिवर्तित हो गया समय बीतने के साथ ही इस शौचालय को प्रशासनिक उपेक्षा और अनदेखी का ग्रहण लग गया और इस शौचालय में तालाबंदी हो गई समय बीता तो नशेबाजों और अराजकतत्वों ने इस ध्वस्त शौचालय को अपना अड्डा बना लिया खंडहर में तब्दील हो चुके

इस सामुदायिक शौचालय के चलते लोगों को न चाहते हुए भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए इस शौचालय का निर्माण कराया गया था लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस उपयोगी इमारत की अनदेखी की, जिसका नतीजा और अधबने शौचालय के अंदर की स्थिति सामने है। वहीं जानकर बताते हैं, कि लगभग क्षेत्र की 95 प्रतिशत ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जिनमें बने शौचालय अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं और सिर्फ प्रथम दीवार ही रंग रोगन है।

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