कोविड 19 गाइडलाइन के अंतर्गत होंगी मजलिसें।
सीतापुर : सन 1812 में हकीम मोहम्मद शफीक द्वारा इमामबाड़े का निर्माण किया गया था वक्त बीतने के साथ ही इमामबाड़ा काफी खस्ताहाल हो गया था।
मुतवल्ली फरीद मोहसिन ने बताया कि इस इमामबाड़े को फिर से आबाद करने के लिए बहुत कोशिश की गई। इसके लिए इस इमामबाड़े में दुकानें निकाली गई
जिसकी दुकान के किराए से इस इमामबाड़े का खर्चा चलाया जाता है। इसके अलावा लोगों से पैसे इकट्ठा करके इस इमामबाड़े को फिर से सही किया गया ।
इमामबाड़े पुरानी शानो शौकत लौटाने की कोशिश की गई हकीम मोहम्मद शफीक द्वारा बनाए गए इमामबाड़े को नई जिंदगी प्रदान की गई।
फरीद मोहसिन ने बताया के चांद रात से लेकर के छः रबी उल अव्वल तक लगातार मजलिसों का सिलसिला रहता था मगर पिछले साल कोविड की वजह से मजलिसें नहीं हो पाईं।
इस साल भी कोविड-19 की गाइडलाइन के अंतर्गत 50 आदमियों के साथ मजलिस की जाएगी इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के कारण कोई भी जुलूस नहीं निकाला जाएगा। उन्होंने बताया कि मजलिस के दौरान मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाएगा फरीद मोहसिन ने बताया कि 5 रबी उल अव्वल को यहां बड़ा ताजिया रखा जाता है।
एक सवाल के जवाब में फरीद मोहसिन ने बताया कि इस इमामबाड़े का जो भी खर्चा होता है वह इस की दुकानों से आए हुए किराए से ही पूरा किया जाता है।
उन्होंने बताया कि इसके पुनर्निर्माण का काम 2002 में शुरू हुआ और 2004 में पूरा हो गया। उन्होंने यह भी बताया कि वक्फ का जो टैक्स होता है वह हर साल सुचारू रूप से जमा किया जाता है।