लखनऊ : अयोध्या बाबरी विध्वंस मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष जज के सामने अपना बयान दर्ज करवाया। इस दौरान देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने उस समय की केंद्र सरकार को अपने खिलाफ लगे आरोपों के लिए जिम्मेदार ठहराया। इस मामले में खुद को निर्दोष करार देते हुए आडवाणी ने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित थे।
विशेष जज एसके यादव की अदालत में 92 वर्षीय आडवाणी के बयान दर्ज कराते समय उनके वकील विमल कुमार श्रीवास्तव, केके मिश्रा और अभिषेक रंजन मौजूद थे। सीबीआई के वकील ललित सिंह, पी चक्रवर्ती और आरके यादव भी मौजूद थे। वकील केके मिश्रा ने लखनऊ की सीबीआई अदालत में आडवाणी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
‘आडवाणी ने 100 सवालों के दिए जवाब‘
केके मिश्रा ने बताया, ‘लालकृष्ण आडवाणी ने अदालती कार्यवाही के दौरान लगभग 100 सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया। पूर्व बीजेपी अध्यक्ष ने तत्कालीन केंद्र सरकार को उनके खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों के लिए जिम्मेदार ठहराया।’ उन्होने खुद पर लगाए गए आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि विवादित ढांचे के विध्वंस में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उन पर आरोप राजनीतिक कारणों से लगाए गए थे।
बाबरी विध्वंस मामले में कुल 32 आरोपियों के बयान दर्ज होने हैं, जिनमें से अब तक 29 के बयान दर्ज हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार विशेष अदालत को इस मामले का 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करनी है। अदालत इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई कर रही है। इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने गुरुवार को अपना बयान दर्ज कराया था।
जोशी ने भी खुद को बताया था निर्दोष
जोशी ने कल अदालत से कहा था कि वह बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में निर्दोष हैं और केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उन्हें गलत तरीके से फंसाया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि अभियोजन पक्ष की तरफ से इस मामले में पेश किए गए सबूत झूठे और राजनीति से प्रेरित हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राममंदिर निमार्ण का मार्ग प्रशस्त पहले ही हो चुका है। अयोध्या में राममंदिर का भूमिपूजन पांच अगस्त को प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में होगा।
इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और भाजपा नेता एवं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी हाल ही में अपने बयान दर्ज कराए हैं। इसके बाद आरोपियों को अपनी सफाई और साक्ष्य पेश करने का अवसर दिया जाएगा। अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था।