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हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी, सतयुग काबिल बनो नर नारी

जब लोगों को सुख-शांति पहुंचाने सतयुग लाने के काम में लगोगे तब करोगे दया का अनुभव

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उत्तर प्रदेश जनपद कौशाम्बी। मन मुखी सेवा की बजाय गुरु मुख बन कर सच्ची सेवा करवा कर गुरु को प्रसन्न करने, जो कि सन्त मत का मूलभूत सिद्धांत है, का तरीका बताने वाले, पूरे समर्थ गुरु के नामदानी शिष्य होने के नाते अपनी जगी हुई जीवात्मा की वास्तविक ताकत की याद दिलाने वाले, युग परिवर्तन की बेला में सदैव से होते आ रहे भारी जन संहार को इस बार टालने में जी जान से लगने और अपने प्रेमियों को भी लगाने वाले वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने तीन दिवसीय नज़रे इनायत गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम के तीसरे दिन 13 जुलाई 2022 प्रातः कालीन बेला में जयपुर में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन यह संकल्प बना कर जाओ कि गुरु का काम, गुरु का मिशन जो अधूरा रह गया, उसको हमको पूरा करना है। आप सबको उसमें लगना है। यह मत सोचो कि जिम्मेदार का काम है, वो योजना बनाएंगे, हमसे कहेंगे तब हम करेंगे। आप कम जिम्मेदार नहीं हो। आप गुरु महाराज के सब प्रेमी हो। आप एक-एक आदमी हीरा हो, गुरु के रत्न हो, आप जो काम कर सकते हो दुनिया के लोग अन्य लोग जो गुरमुख नहीं हैं, वे नहीं कर सकते हैं चाहे कितनी भी योग्यता वाले, पढ़ाई लिखाई, धनी मानी, ऊंचे पद वाले हो लेकिन ये काम वो नहीं कर सकते हैं।
आपके अंदर की जगी जीवात्मा जो गुरु की बैठी हुई है, उसकी पावर को अभी समझ नहीं पा रहे हो
आपके अंदर जो जीवात्मा जगी बैठी हुई है, दया वाले गुरु की बैठी हुई है, इस जीवात्मा की पावर को आप नहीं समझ पा रहे हो। आप जैसे मुसीबत में कभी पड़ जाते हो, गुरु आपकी मदद कर देते हैं, रक्षा हो जाती है, गुरु पर विश्वास हो जाता है इसी तरह से गुरु जो काम छोड़कर के गए हैं उसको करने में एक-एक लोग जब अपने स्तर से लगोगे तब दया का अनुभव करोगे। इसलिए हर किसी को गुरु का प्यारा बनना है, गुरु का काम करना है।
गुरु जो मुख्य काम छोड़ कर के गए, सतयुग लाने का, सब प्रेमियों को मिलकर करना है
गुरु महाराज का ही नारा है कि इस धरा पर सतयुग उतर आएगा, कलयुग में कलयुग जाएगा, कलयुग में सतयुग आएगा। ऐसे ही सतयुग नहीं आ जाएगा। और आएगा तो जो कलयुगी लोग हैं इनको लेता हुआ, रगडाई करेगा, शरीर उनका बेमौत छूट जाएगा, बहुत मरेंगे। अपनी मौत मरने वाले को तो योनि मिल जाती है लेकिन बीच में जो कैसे भी मरते, मारे जाते हैं उनको प्रेत योनि में जाना पड़ता है। जो समरथ गुरु के शिष्य हैं, उनकी संभाल तो कुछ होती है लेकिन बाकी लोगों का प्रेत योनि में जाना तय रहता है इसलिए इनको बचाने की जरूरत है।
सतयुग में लोग शाकाहारी सदाचारी धर्मनिष्ठ प्रभु के प्यारे भगवान का भजन करने वाले होंगे
सब मर ही जाए और सतयुग का आनंद लेने वाला कोई न रहे तो सतयुग को लाने का मतलब क्या रहेगा? इसलिए सतयुग के लायक लोगों को बनाओ। सतयुग में लोगों का खान-पान सही होगा, शाकाहारी, सदाचारी, धर्मनिष्ठ, प्रभु के प्यारे, भगवान का भजन करने वाले, भगवान को याद करने वाले होंगे। लोगों की नीयत दुरुस्त होगी। लोगों की प्रकृति मदद करेगी, समय पर जाड़ा गर्मी बरसात होगी। कम लागत में बहुत फायदा होगा। जैसे सतयुग में एक बार बोते थे 27 बार काटते थे। थोड़ी सी लागत लगा दिया, जब जरूरत पड़ी बोये हुए फसल को मेघराज पानी दे दिया करते थे। एक बार बोते, काट करके ले आते फिर उसी में से गल्ला निकलकर के उसी में फल फिर लग जाता था। यह प्रकृति देती है, सोने चांदी हीरे मोती जवारात की कोई कमी नहीं है, यह सब इन्हीं पहाड़ियों में भरे पड़े हुए हैं, लेकिन जब नीयत दुरुस्त होती है (तब कुदरत देती है)।
मुख्य रूप से अभियान शाकाहारी नशा मुक्त का चलाओ
आपका मुख्य रूप से अभियान शाकाहारी नशा मुक्त बनाना है। बोलो लोगों को बाबा जी ने आपके लिए संदेश भेजा है-
हाथ जोड़कर विनय हमारी। तजो नशा बनो शाकाहारी।
हाथ जोड़कर विनय हमारी। सतयुग काबिल बनो नर नारी।
आप दो बात समझाओ, कहेंगे सतयुग के लायक कैसे बनेंगे। समझा दो, सतयुग में इस तरह के लोग थे, सतयुग के लायक बनोगे तब तो बचोगे नहीं तो
बज रहा काल का डंका बचने न कोई पाएगा।
बचेगा साध जन कोई जो सत्य से लौ लगाएगा।।
जो साधना, पूजा, इबादत करेगा, भगवान पर विश्वास करेगा वही बचेगा नहीं तो तकलीफ आएगी। अभी तकलीफ को क्या देखा है। फिर आप समझा देना। यह आप (सतसंगी) तब कर पाओगे जब भजन ध्यान प्रार्थना करोगे, सप्ताहिक सतसंग में आने-जाने लगोगे तभी आपका मन दुनिया की तरफ़ से हटेगा। यह भजन ध्यान सुमिरन महामंत्र है, इसे तो आपको करते ही रहना है।
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