लखनऊ: टमाटर, अदरक, लहसून समेत तमाम सब्जियों के रेट में फिलहाल कमी आती नहीं दिख रही है। टमाटर मंडी में 100 से 120 रुपए किलो पहुंच गया है। जबकि मंडी समिति की तरफ से लगाए गए काउंटर पर टमाटर मंगलवार को 90 रुपए किलो बिका। आढ़तियों का कहना है कि पूरे देश में मौजूदा समय केवल एक जगह से माल जा रहा है।
कर्नाटक के चिंतामंडी से माल मंगाया जाता है। लखनऊ आते आते ट्रक को करीब 96 घंटे लगते हैं। अगर बारिश या जाम मिल गया तो वह 100 से 100 घंटे भी हो सकते है। सबसे खराब स्थिति पालक को लेकर है। सप्ताह में 3 से 4 दिन मंडी में पालक नहीं आ रहा है।
दुबग्गा मंडी के टमाटर कारोबारी गुलफाम का कहना है कि मौजूदा समय उमस की वजह से माल ज्यादा खराब हो रहा है। उन्होंने बताया कि कोई नई बीमारी आई है, इसकी वजह से समय से पहले टमाटर के अंदर कीड़ा पड़ रहा है। 30 फीसदी माल का बर्बाद होना तय है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन दुबग्गा और सीतापुर मंडी में एक एक ट्रक माल आता था। लेकिन अब एक ट्रक में केवल 25 से 30 फीसदी माल आ रहा है।
1000 की जगह 300 कैरैट माल आ रहा
उन्होंने बताया कि जो आढ़ती पहले 800 कैरेट माल मंगाता था वह अब महज 300 कैरट मंगा रहा है। उसमें कम से कम 50 कैरेट माल खराब हो जाता है। स्थिति यह है कि कई बार घाटा हो रहा है लेकिन कारोबार इसलिए नहीं छोड़ रहे है कि पूरे साल यही काम करते हैं। एक बार काम बंद किया तो कस्टमर दूसरे के यहां चला जाएगा। ऐसे में आने वाले दिनों में कारोबार बंद करने वाली स्थिति रहेगी।
नेपाल से आ रहा बिना कागजो के टमाटर
आढ़तियों ने बताया कि नेपाल से भी टमाटर आ रहा है। बिना कागजों के माल आ रहा है। उसकी वजह से कई जगह टमाटर सस्ता भी बिक जाता है। हालांकि वह माल ठीक नहीं होता है। यह ट्रक या जो गाड़ी आती है उसको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। ऐसे में उसका माल सस्ता मिल रहा है।
सब्जियों के रेट चार गुना बढ़ जा रहे है
होल सेल मंडी से खुदरा में माल आने तक सब्जियों के रेट 4 गुना तक बढ़ जा रहे है। होल सेल मंडी में जो परवल अधिकतम 30 रुपए किलो बिकता है वह खुदरा में 80 से 120 रुपए तक बिक रहा है। नरही में परवल 120 रुपए किलो बिक रहा है। खुदरा में इलाके के हिसाब से रेट रहता है। सबसे महंगी मंडी गोमती नगर और गोमती नगर विस्तार की है।
लहसुन भी महंगा मिलते रहेगा
लहसुन होल सेल मंडी में 80 से 150 रुपए तक हो गया है। ठंड के मौसम फरवरी या मार्च तक नया लहसुन अब खेतों से निकलता है। ऐसे में फिलहाल लहसुन के रेट में कोई कमी नहीं आने वाला है। लहसुन कारोबारी आशीन्द्र मौर्या का कहना है कि 3 साल से किसान को रेट ठीक नहीं मिल रहा था। ऐसे में लोगों ने इस बार खेती नहीं की है। अब उसका असर यह हुआ कि डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं हो पाई। ऐसे में भाव बढ़ता जा रहा है।
लोकल सब्जी वालों की मनमानी बढ़ी है
होल सेल सब्जी कारोबारियों का कहना है कि वह अपने यहां रेट के लिए जिम्मेदार है। सामने वाला उसको ले जाकर किस रेट पर बेचता है इसमें उनका हस्तक्षेप नहीं होता है। दुबग्गा मंडी के कारोबारी शाहनवाज आलम बताते हैं कि अमूमन किलो पर 10 से 15 रुपए की बढ़ोतरी करके बेचा जाता था लेकिन है लेकिन पिछले कुछ सालों से अंतर काफी ज्यादा रहता है। कई बार माल कम होने की स्थिति में कुछ आढ़ती कालाबाजारी करने लगते है।
प्राइस कंट्रोल एक्ट होता तो यह नौबत नहीं आती
कारोबारी मुकेश बताते है कि सब्जियां और अनाज पर अमूमन कोई प्राइस कंट्रोल एक्ट नहीं लगता है। इसकी वजह से इनके रेट में कई बार होल सेल और लोकल दोनों के आढ़ती मनमानी करने लगते है। प्याज, टमाटर जब कभी बहुत महंगा होता है तो जिला प्रशासन जरूर पर बड़े छापे डालना शुरू कर देता है लेकिन वह प्रक्रिया लंबे समय तक नहीं रहती है। ऐसे में इसको लेकर कोई डर भी नहीं रहता है।