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मन की बात में बोले मोदी खतरा अभी टला नहीं कारगिल पर भी की बात कारगिल विजय दिवस से की शुरुआत

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  • नई दिल्ली : मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम के जरिये देश को संबोधित किया. उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत कारगिल विजय दिवस से की और कोरोना महामारी का भी जिक्र किया. प्रधानमंत्री ने कहा, “आज ‘कारगिल विजय दिवस’ है. 21 साल पहले आज के ही दिन कारगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था

साथियों, कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो, भारत कभी नहीं भूल सकता.” पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मनसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आन्तरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था. पीएम ने कहा, “आप कल्पना कर सकते हैं- ऊचें पहाडों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएं, हमारे वीर जवान, लेकिन, जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं भारत की सेनाओं के ऊंचे हौंसले और सच्ची वीरता की हुई. भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, भारत ने अपनी जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा

रक्षाबंधन की शुभकामनाएं देते हुए पीएम ने कहा कि कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का पावन पर्व आ रहा है. मैं इन दिनों देख रहा हूं कि कई लोग और संस्थायें इस बार रक्षाबंधन को अलग तरीके से मनाने का अभियान चला रहे हैं. कई लोग इसे Vocal for local से भी जोड़ रहे हैं, और, बात भी सही है.” प्रधानमंत्री ने बोर्ड

प्रधानमंत्री ने कारगिल पर कहा कि उस समय, मुझे भी कारगिल जाने और हमारे जवानों की वीरता के दर्शन का सौभाग्य मिला, वो दिन, मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है. मैं सभी देशवासियों की तरफ से, हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उन वीर माताओं को भी नमन करता हूं, जिन्होंने, मां-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लालकिले से जो कहा था, वो, आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रासंगिक है

अटल जी ने तब देश को, गाँधी जी के एक मंत्र की याद दिलायी थी. मोदी ने कहा कि युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है. ये बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए. हमारा आचार, हमारा व्यवहार, हमारी वाणी, हमारे बयान, हमारी मर्यादा, हमारे लक्ष्य, सभी, कसौटी में ये जरूर रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं, उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े

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